Kumbh Mela 2019 हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जेन में में हर तीन साल पर कुंभ मेले का आयोजन होता है. कुंभ क्या है? कलश को कुंभ कहा जाता है. आप जब भी कुंभ के बारे में सुनते होंगे तो अक्सर आपको तीन चीजें सुनने को मिलती होगी. पहली कुंभ, दूसरी अर्ध कुंभ और तीसरी सिंहस्त. आज हम आपको इन तीनों में क्या अंतर है इस बारे में बताने जा रहे हैं.
क्या है कुंभ
इसका अर्थ कलश होता है. दरअसल इस पर्व का संबंध समुद्र मंथन के दौरान अंत में निकले अमृत कलश से जुड़ा है. देवता-असुर जब अमृत कलश को एक दूसरे से छीन रह थे तब उसकी कुछ बूंदें धरती की तीन नदियों गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा में गिरी थीं. जहां जब ये बूंदें गिरी थी उस स्थान पर तब कुंभ का आयोजन होता है.
अर्धकुंभ क्या है
कुंभ के बारे में तो आपको पता चल गया गया लेकिन यह अर्ध कुंभ क्या होता है. दरअसल हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 साल का अंतराल होता है. इस दौरान अर्धकुंभ का आयोजन किया जाता है. कुंभ का पर्व हरिद्वार के बाद प्रयाग नासिक और उज्जैन में मनाया जाता है.
सिंहस्थ क्या है कुंभ और अर्धकुंभ के बाद अब बात करते हैं सिंहस्थ की. सिंहस्थ का संबंध सिंह राशि से है. होता यूं है कि सिंह राशि में जब बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है तब उज्जैन में कुंभ का आयोजन होता है. यह योग 12 साल में आता है इसलिए इसे महाकुंभ भी कहा जाता है. उज्जैन में आयोजित महाकुंभ को सिंहहस्त कहा जाता है.