नई दिल्ली: ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप-प्रत्यारोपों के बीच उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर री-पोलिंग में लगभग 61 फीसदी मतदान हुआ. चुनाव आयोग ने बीते सोमवार को हुए उपचुनाव में मतदान के दौरान वीवीपैट मशीनों में गड़बड़ी की शिकायतों को देखते हुए कैराना लोकसभा सीट के 73 मतदान केन्द्रों पर दोबारा मतदान का फैसला किया था. मतगणना 31 मई को होगी.चुनाव में हार-जीत ही अब दोनों प्रत्याशियों का राजनीतिक भविष्य तय करेगी.
बता दें कि बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के फरवरी में निधन के कारण कैराना सीट पर उपचुनाव हुए. अब सिंह की पुत्री मृगांका सिंह यहां से बीजेपी प्रत्याशी हैं. वहीं तबस्सुम उत्तर प्रदेश में विपक्षी पार्टियों की उम्मीदवार हैं. मतगणना 31 मई को होगी.
कैराना सीट पर आमने-सामने हैं मृगांका सिंह और पूर्व सांसद तबस्सुम हसन
कैराना सीट पर मृगांका सिंह का सीधा मुकाबला राष्ट्रीय लोकदल की प्रत्याशी पूर्व सांसद तबस्सुम हसन से है. 1962 में सीट के गठन से बाद से ही कैराना चौधरी चरण सिंह और उनके राष्ट्रीय लोकदल का बड़ा गढ़ रहा है. वहीं हुकुम सिंह भी क्षेत्र में अपने समय के बड़े नेता रहे हैं, अब उनकी मौत के बाद मृगांका सिंह के लिए ये चुनाव बड़ी चुनौती है.
तबस्सुम को हासिल है पांच पार्टियों का समर्थन
बता दें कि तबस्सुम को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का समर्थन है.तबस्सुम उत्तर प्रदेश में विपक्षी पार्टियों की उम्मीदवार हैं , जिन्हें कैराना उप-चुनाव में जीत की उम्मीद है. ये पार्टियां बीजेपी को हराकर यह भी साबित करना चाहती हैं कि गोरखपुर और फूलपुर के उप-चुनावों में विपक्ष को मिली जीत कोई इत्तेफाक नहीं थी.
लोगों में ऐसी है दोनों की शाख
तबस्सुम बीएसपी से सांसद रह चुकी हैं. इसके बाद वह एसपी में शामिल हुई थीं और फिर आरएलडी में आईं.वहीं इलाके में दिवंगत हुकुम सिंह के प्रभाव के कारण कई लोग मृगांका को स्थानीय मानते हैं. हालांकि , 2017 के एक हलफनामे में मृगांका को मुरादनगर विधानसभा क्षेत्र में वोटर के तौर पर पंजीकृत दिखाया गया है. उनके पिता का घर कैराना में है.चुनाव आयोग के मुताबिक कैराना में 16.09 लाख मतदाता हैं.