गोरखपुर: गोरखपुर और आसपास के जिलों में पिछले साल बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी. कई गांव जलमग्न हो गए थे. हालांकि बाढ़ आने का कारण भारी बरसात से ज्यादा नेपाल द्वारा पानी छोड़ा जाना था. लेकिन, इस बार गोरखपुर प्रशासन ने प्रदेश के 46 जिलों के साथ यहां भी बाढ़ से बचाव के लिए मॉक-ड्रिल किया.
इस दौरान एनडीआरएफ और एयरफोर्स समेत विभिन्न विभाग के लोगों ने बाढ़ राहत बचाव के लिए की गई तैयारियों का नमूना पेश किया. टीम ने जहां बाढ़ के दौरान छत पर फंसे लोगों को हेलीकाप्टर से निकाला, तो वहीं बाढ़ के दौरान डूब रहे लोगों को भी बचाने का रिहर्सल किया.
एयरलिफ्ट से लेकर राहत सामग्री के वितरण की रिहर्सल
पिछली बार की तरह बाढ़ के दौरान बचाव कार्य में कोई चूक न हो, इसकी तैयारियों को मुकम्मल करने के लिए पहली बार गोरखपुर में मेगा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया. NDRF की टीम ने जहां नदी में और बाढ़ में फंसे लोगों को बाहर निकाला. व
हीं एयरफोर्स के जवानों ने हेलीकाप्टर से आसमान में उड़ते हुए राप्ती नदी के बाढ़ में फंसे और मैरुंड इलाके से एयरलिफ्ट किया. इस दौरान राहत सामग्री के वितरण से लेकर स्वास्थ्य के प्रति लोगों को सचेत किया गया.
पिछले साल की बाढ़ में सैकड़ों गांव और घर डूब गए थे
पिछले साल गोरखपुर के कई इलाकों में आई बाढ़ ने जिला प्रशासन की पोल खोल दी थी. तैयारियां पूरी नहीं होने की वजह से पिछले साल की बाढ़ में सैकड़ों गांव और घर डूब गए थे. लोगों को बांध, सड़क और स्टेशन पर आसरा लेना पड़ा था. सैकड़ों लोग बेघर हो गए थे.
इसके साथ ही भारी संख्या में जन-धन की भी हानि हुई थी. इस साल भी मानसून अब आने को है और बाढ़ का खतरा बना हुआ है. गोरखपुर को चारों तरफ से बाढ़ से बचाने वाले 70 छोटे- बड़े-बांध हैं, जिनके किनारे रहने वाले लोगों को इस साल भी अलर्ट कर दिया गया है. पिछले साल से ज्यादा बंधों को मज़बूत बनाया गया है.
बताए गए बाढ़ से बचने के तरीके
जिलाधिकारी के. विजयेन्द्र पाण्डियन ने बताया कि बरसात के सीजन में भारी बारिश और नेपाल से पानी छोड़ने की वजह से आई बाढ़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने गोरखपुर में मेगा मॉक ड्रिल का आयोजन किया. इसमें संभावित बाढ़ से बचने के लिए क्या-क्या उपाय हो सकते हैं इन सभी उपायों को आज टेस्ट किया गया.
गोरखपुर के राप्ती नदी के किनारे राजघाट पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें जिले के सभी विभागों के अधिकारी जिलाधिकारी, एसएसपी सहित भारी संख्या में एनडीआरएफ और पुलिस के जवान मौजूद रहे.
एनडीआरएफ की टीम के साथ स्थानीय पुलिस ने भी लिया हिस्सा
एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट पीएन शर्मा ने बताया कि राप्ती नदी के किनारे के 2 गांवों को इसके लिए चिन्हित किया गया और वायरलेस पर यह मैसेज दिया गया कि इन गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है. इस मैसेज के बाद एनडीआरएफ की टीम नावों से इस गावों में पहुंची और लोगों को रेस्क्यू किया गया.
इसी बीच राप्ती नदी को डोंगी नाव से पार कर रहे लोग, नाव के पलटने के कारण डूबने लगे. इनको भी एनडीआरएफ की टीम ने जान जोखिम में डालकर बचाया गया. इनके इस काम में स्थानीय पुलिस ने भी इनका पूरा सहयोग किया और घायलों की मदद में ग्रीन कारीडोर बनाकर उनको अस्पताल पहुंचाया.
लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह से अलर्ट
इस दौरान मौके पर मौजूद एसएसपी शलभ माथुर ने बताया कि बाढ़ के दौरान लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह से एलर्ट रहता है. ऐसे में ये सुनिश्चित किया जाता है कि हर कोई सुरक्षित रहे.
पुलिस प्रशासन की ओर से ये सुनिश्चित किया जाता है कि इस दौरान किसी प्रकार की घटना नहीं होने पाए. इसके साथ ही चोरी और अन्य प्रकार की घटनाओं को भी रोका जा सके.
के. विजयेंद्र पाण्डियन रहे मॉक ड्रिल के कमांडर इसके पहले बाढ़ में फंसे लोगों को हेलीकाप्टर से रेस्क्यू किया गया और प्रभावित इलाकों में फ़ूड पैकेट भी गिराए गए. नौसढ़ के पास गांव और राप्ती नदी में होने वाले इस मॉक ड्रिल के कमांडर जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पाण्डियन रहे. इनकी निगरानी में जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण ने कार्यक्रम को आयोजित किया. इस कार्यक्रम में राजस्व, चिकित्सा, आपूर्ति, पशु चिकित्सा एवं पुलिस विभाग के प्रतिनिधि अपने-अपने विभागों की कार्ययोजना और संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ यहां उपस्थित रहे. सभी ने बाढ़ बचाव का कार्य किया.4 घंटे तक चलने वाले इस कार्यक्रम के जरिए ये जानने की कोशिश की गई कि जब इस तरह के हालात बनते हैं तो उस समय राहत और बचाव कार्य में कितना समय लग सकता है. क्या-क्या कमियां रह जाती हैं और लोगों को कितनी जल्दी मदद पहुंचाई जा सकती है.