लखनऊ: यूपी समेत चार राज्यों में रिवरफ्रंट घोटाले पर ईडी की ताबड़तोड़ छापेमारी चल रही है. टीम इंजीनियरों और ठेकेदारों का घर खंगाल रही है. ईडी के अफसरों ने होमवर्क के बाद कार्रवाई शुरू की है. इस मामले में लखनऊ में दो जगह गोमतीनगर और राजाजीपुरम में छापेमारी चल रही है. गोमती रिवर फ्रंट के सौंदर्यीकरण का काम अखिलेश यादव की सरकार के समय हुआ था.जिसमें गोमती नदी के किनारों को विकसित करने की योजना शुरु की गई थी. लगभग 1500 करोड़ रुपये की गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना को अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर नदी के किराने हरियाली विकसित किया जाना था. इसका काम सिंचाई और जल संसाधन मंत्रालय के अधीन था. यह प्रॉजेक्ट पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रॉजेक्ट्स में से एक था. इनमें राज्य सरकार के आठ इंजीनियर शामिल हैं. योगी आदित्यनाथ नीत उत्तर प्रदेश सरकार ने गोमती रिवरफ्रंट परियोजना को लेकर जांच का आदेश दिया था. इसके बाद सीबीआई ने इसकी जांच अपने हाथों में ली थी. गोमती रिवरफ्रंट- कब क्या हुआ ? योगी आदित्यनाथ सरकार ने गोमती रिवरफ्रंट परियोजना को लेकर जांच का आदेश दिया था आरोपों के मुताबिक, 1513 करोड़ रुपए के खर्चे वाले प्रोजेक्ट में बगैर काम किए ही 1437 करोड़ रुपए यानी 95 फीसदी राशि पहले ही जारी कर दी गई गेमन इंडिया नाम की जिस कंपनी को ठेका दिया गया, वह पहले से डिफॉल्टर थी राज्य सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधशीश आलोक कुमार सिंह के तहत समिति का गठन किया था इस समिति ने 16 मई, 2017 की तिथि वाली अपनी रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया अनियमितताओं का संकेत दिया था 19 जून 2017 को पुलिस ने भी इस मामले में केस दर्ज किया था 24 नवंबर 2017 को इस मामले को सीबीआई को सौंपा गया मई 2018 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना में कथित अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया था.