पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को राज्य के पशु (वेटनरी) चिकित्सकों को मेडिकल (एमबीबीएस) चिकित्सकों की तरह वेतन देने की घोषणा की. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र की तर्ज पर पशु विज्ञान केंद्र भी खोले जाने की घोषणा की. मुख्यमंत्री यहां पांच वर्षीय पुस्तिका 'बिहार लाइव स्टक मास्टर प्लान' का विमोचन और पशु-मत्स्य संसाधन विभाग की कई योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास के मौके पर कहा कि भारत सरकार के कृषि विज्ञान की तर्ज पर बिहार में पशु विज्ञान केंद्र स्थापित होना चाहिए. इसके लिए राज्य सरकार पैसों की कमी नहीं होनी देगी.
मुख्यमंत्री ने जीविका के जरिये पशुपालन, बकरी और मुर्गी पालन को बढ़ावा दिए जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि बिहार में स्वयंसहायता समूह की संख्या आठ लाख से ज्यादा हो गई है जिससे 96 लाख परिवार जुड़े हुए हैं. ऐसे में स्वयंसहायता समूहों के माध्यम से मुर्गीपालन किया जाए तो वह काफी प्रभावी साबित होगा.
नीतीश कुमार ने कहा, "मुर्गीपालन और बकरीपालन को स्वयं सहायता समूहों के द्वारा कराए जाने से इसका काफी विस्तार होगा और गांव-गांव तक इसका फायदा पहुंचेगा. कृषि क्षेत्र में अनाज उत्पादन के अलावा, दूध, मछली, अंडा, मांस, फल, सब्जी सहित कई चीजें शामिल हैं."
पशुपालन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पशुपालन से अब सिर्फ दूध का ही संबंध नहीं है, अब गोबर और गोमूत्र से बने जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, बायो पेस्टीसाइडस जैसे बायो फर्टिलाइजर की जरूरत बढ़ी है. ऐसे में दूध से जितनी आमदनी होगी, उतनी आमदनी गोबर और गोमूत्र से भी संभव हो पाएगी. इस मौके पर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने भी लोगों को संबोधित किया.
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