नई दिल्ली: बिहार के सुपौल जिले में एक हॉस्टल की लड़कियों के साथ हुई मारपीट की खबरों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि 34 लड़कियों के साथ मारपीट की जाती है क्योंकि वे खुद को छेड़खानी से बचाना चाहती थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप बच्चों के साथ ऐसे कैसे व्यवहार कर सकते हैं. इस तरह की समस्याएं रोज सामने आ रही हैं. वहीं मुजफ्फरपुर में हुए खुदाई में लड़कियों के कंकाल मिलने की खबर पर भी कोर्ट ने अपनी चिंता जाहिर की.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि एक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना की जाए जिसके तहत जो पीड़िताएं हैं उनका ठीक से मनोवैज्ञानिक पुनर्स्थापन किया जाए. वहीं, केंद्र ने कोर्ट के सुझाव को लागू करने के लिए वक्त मांगा है.
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि बिहार के सुपौल में एक हाई स्कूल में लड़कियों से मारपीट करने के मामले में पुलिस की कार्यशैली पर ही सवाल उठने लगे हैं. पुलिस एफआईआर दर्ज होने की बात तो कह रही है, लेकिन एफआईआर की डिटेल जानकारी नहीं दे रही है. ऐसे में होस्टल वार्डन द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत की कॉपी एबीपी न्यूज को मिली है. जिसमें पूरी घटना का जिक्र किया गया है छात्राओं के साथ मारपीट और अभद्र व्यवहार की बात कही गई है.
बड़ी बात यह भी है कि आईजी शनिवार को ही एफआईआर दर्ज होने की बात कह रहे हैं, जबकि वार्डन द्वारा पुलिस को शिकायत रविवार 7 अक्टूबर को दी गई है. इस मामले में पुलिस ने अब तक एक महिला समेत 9 लड़कों की गिरफ्तारी की है. जबकि बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है.
एसडीएम के मुताबिक लड़कियों ने हॉस्टल वॉर्डन से 3 दिन पहले ही शिकायत की थी लेकिन वार्डन ने वो शिकायत आगे नहीं बढ़ाई जिसकी जांच समिति पड़ताल करेगी. वहीं पीड़ित बच्चियों का कहना है कि लड़के लगातार वॉल पर गंदी चीज लिख रहे थे जिसका हम विरोध कर रहे थे. लगभग 150 से 200 की भीड़ आई थी जिसने लाठी-डंडो, ईंट पत्थर और लात घूंसों से मारा.
विपक्षी पार्टियों ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा, ''यह एक सरकारी स्कूल है प्रशासन का फर्ज है कोई शिकायत करवाए या ना करवाए, प्रशासन को खुद करना है. आखिर बच्चियों की सुरक्षा का मामला है.''