काजल तय नहीं कर पा रही थी कि राज उसे ज्यादा प्यार करता है या विक्रांत. आखिर उसकी पहेली तब सुलझी जब वो अपने जन्मदिन की पार्टी कर रही थी.

लव इन ए मेट्रो

बिजली

दिल्ली की मेट्रो, जिसमें पूरी दुनिया दिख जाती है, उसमें हर रूट की अपनी खासियत है. विश्वविद्यालय वाले रूट पर नई नई तितलियों जैसी कई आवाज़ें आने लगती हैं. आज भी मुखर्जी नगर से कई लड़के लड़कियां मेट्रो में चढ़े थे. उन्हीं में से थी काजल और उसकी सहेलियां. आज काजल का बर्थडे था और वे सभी उसे सेलिब्रेट करने साकेत जा रहे थे. काजल आज बहुत खूबसूरत लग रही थी. उसकी सहेलियां भी कम नहीं लग रही थीं. काजल ने शॉर्ट ब्लैक ड्रेस पहनी थी, और जिसमें से उसकी गोरी टांगें झांक रही थीं.

“काजू! वैक्स या वीट?” नम्रता ने पूछा. “ऑफकोर्स वैक्स यार. वीट में वो बात कहां डियर निम्मू!”

“हां हां, ये तो न आज किसी भी ब्रांड के लिए मॉडलिंग कर सकती है,” ये राज था. “हां, तो हूं भी तो मैं राजपूताने की. अब थोड़ी तो रॉयल लगूंगी ही,” काजल ने इतराते हुए कहा. “वैसे काजू, अगर तू राजकुमारी है तो तेरा प्रिंस चार्मिंग कहा हैं?”

“प्रिंस चार्मिंग? आर यू सीरियस? अभी साला पढ़ाई करूं या प्रिंस चार्मिंग सर्च करूं?”

“हाय हाय ये मजबूरी.” जैसे ही विक्रांत ने ये कहा, वैसे ही इन लोगों की हंसी पूरी मेट्रो में गूंज गई. मेट्रो अपनी रफ्तार से बढ़ रही थी. “ऐ काजू, देख तू स्वीट ट्वंटी में तो आ ही गई है, अब तेरे लिए कम से कम एक तो बॉयफ्रेंड होना ही चाहिए.”

“यार, कह तो तू ठीक ही रही है, मगर बॉयफ्रेंड होने के लिए कोई ढंग का लड़का तो चाहिए ही न!” काजल ने नम्रता से कहा. “ढंग का लड़का, ये विक्रांत है, राज है, रोशन है, और अमित है, देख चार तो यहीं हैं,” नम्रता ने उसके सामने ऑप्शन रखे.

“और मेट्रो में से भी एक दो खोज ला. आज यहीं अभी का अभी स्वयंफ्रेंड कर लूंगी!”

“स्वयंफ्रेंड,” और फिर सब हंसने लगे. “यार, ये साकेत जाने का प्लान वैसे था किसका, इतनी दूर खड़े खड़े जाना. मन हो रहा उसका गला दबा दूं,” विक्रांत ने कहा. “ये अपनी डियर काजू का ही आइडिया था. अब दबा ले गला! वैसे तो काजू को देखकर भतेरा सैंटिया जाता है तू,” राज ने विक्रांत को छेड़ते हुए कहा.

“वैसे हमारा राज रहता है डिमांड में,” काजल ने कहा.

“डिमांड?”

“हां, सभी की डिमांड में, लड़कियों की डिमांड में और बाद में डांट खाने के लिए,” काजल ने नम्रता से ताली मिलाते हुए कहा.

मेट्रो में उन लोगों की हंसी से कुछ लोग परेशान हो रहे थे तो कुछ इंजॉय कर रहे थे. जल्द ही कश्मीरी गेट पर मेट्रो खाली हो गई, मगर इन आठों को तो जत्था बनाकर ही रहना था तो वे एक साथ खड़े ही रहे. झुंड में!

कश्मीरी गेट के बाद राजीव चौक पर एकदम से भीड़ का सैलाब आता है और शाम होने के कारण मेट्रो में सांस लेने की भी जगह नहीं बची थी. काजल की शॉर्ट स्कर्ट पर एकदम से ही कई लोग घिर आए. खतरा भांप कर चारों लड़के अपने साथ आई चारों लड़कियों का घेरा बनकर खड़े हो गए. काजल के एकदम पास राज और विक्रांत थे. दोनों ही उसके सबसे अच्छे दोस्त थे. कभी कभी उसे लगता था कि दोनों ही उससे प्यार करते हैं, मगर प्यार तो एक से ही किया जा सकता है. उसे लव ट्रायंगल बनने का डर रहता था.

राज और विक्रांत दोनों ही उसके सामने खड़े हैं और वह मेट्रो के डोर के बगल में कोने वाली सीट पर बैठी है. राज और विक्रांत दोनों के ही पैर उसकी टांगों को छू रहे हैं. उसने विक्रांत को देखा, वह मुस्कराया! फिर उसने राज को देखा, उसने भी वही मुस्कान दी! वह फिर से कन्फ्यूज़ हो गई. दोनों ही अच्छे लड़के हैं. दोनों के ही साथ उसकी खूब जमती है, दोनों ही उसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं. ओफो, अब क्या किया जाए? कम से कम कोई प्रपोज़ तो करे! दोनों ही प्रपोज़ करते नहीं हैं और चाहते हैं कि काजल उनकी बात समझ जाए! आज भी साकेत जाने के लिए जब उसने कहा तो सब मान गए.

“हे गाईज़, क्यों न आईएनए पर उतरें, दिल्ली हाट चलेंगे, फोक डांस देखेंगे एंड एम्बिएन्स भी अच्छा होगा.”

“व्हाट डू यू थिंक?” काजल ने पूछा. “आज तो राजकुमारी का ही हुकुम चलेगा!” विक्रांत ने उसे रास्ता देते हुए कहा. “तो ठीक, हम आईएनए पर उतर रहे हैं.”

काजल ने खुश होते हुए कहा. काजल मन में सोच रही है कि वह आज यह पता लगाकर रहेगी कि उसे ज़्यादा प्यार कौन करता है. आज वह अपने मन का कन्फ्यूज़न दूर करके रहेगी.

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(बिजली की कहानी लव इन ए मेट्रो का यह अंश प्रकाशक जगरनॉट बुक्स की अनुमति से प्रकाशित)