Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी लगातार बढ़ती जा रही है. भारतीय जनता पार्टी ने एनडीए (NDA) की ओर से ओडिशा (Odisha) की आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. उधर, विपक्ष ने पूर्व वित्तमंत्री और पुराने बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) पर दांव खेला है. राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव आगामी 19 जुलाई को होगा और परिणाम 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे. आइए इससे पहले जानते हैं राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल दोनों उम्मीदवारों से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में.


शिक्षा


सबसे पहले दोनों एनडीए और विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की शिक्षा के बारे में आपको बताते हैं. जहां तक बात शिक्षा की है विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. मास्टर्स डिग्री लेने के बाद उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में बतौर शिक्षक कुछ समय तक काम भी किया. वहीं दूसरी तरफ एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की संथाल परिवार से आती हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा ओडिशा के निजी स्कूल से प्राप्त की. उसके बाद उन्होंने रमा देवी महिला कॉलेज भुवनेश्वर से कला में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. 


नौकरी 


यशवंत सिन्हा ने अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद सबसे पहले पटना यूनिवर्सिटी में बतौर शिक्षक नौकरी की. वह 1960 तक बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं देते रहे. लेकिन उनका मन यहां नहीं रमा तो उन्होंने प्रशासनिक सेवा की तैयारी शुरू कर दी. 1960 में वे उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए हुआ. उन्होंने बतौर प्रशासनिक अधिकारी 24 साल तक भारत सरकार में अपनी सेवा दी. इस दौरान उन्हें कई अहम पदों पर काम करने का मौका मिला. वह बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में दो साल तक सचिव और उप-सचिव के पद पर भी आसीन रहे. इसके बाद उनकी नियुक्ति भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में उप-सचिव के पद पर की गई. 


वहीं दूसरी तरफ, द्रौपदी मुर्मू राजनीति में आने से पहले शिक्षक रहीं. उन्होंने श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक के तौर पर सेवा दी. उन्होंने कुछ समय तक ओडिशा सरकार के  सिंचाई और बिजली विभाग में कनिष्ठ सहायक यानी क्लर्क के रुप में भी काम किया. 


राजनीतिक सफर


ओडिशा के संथाल समुदाय में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में ओडिशा के नगर पंचायत में बतौर एक पार्षद के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की. साल वह रायरंगपुर से दो बार विधायक भी रहीं. 2000 में वह ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं. उन्होंने ओडिशा सरकार में परिवहन, वित्त, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालीं. वह बीजेपी की ओडिशा इकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष और बाद में अध्यक्ष भी रहीं. द्रौपदी मुर्मू 2015 से लेकर 2021 तक झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का भी गौरव हासिल है. 


वहीं दूसरी तरफ यशवंत सिन्हा ने करीब ढाई दशक तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहने के बाद राजनीति में एंट्री ली. सिन्हा ने साल 1986 में सबसे पहले जनता पार्टी ज्वाइन की. उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया. वह 1988 में पहली बार राज्यसभा सदस्य के लिए चुने गए. यशवंत सिन्हा 1990-91 एक साल तक चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री भी रहे. इसके बाद वह 1998 से लेकर 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री बनाए गए. यही नहीं उन्होंने 2002 में बतौर विदेश मंत्रालय की कमान संभाली. इस बीच बीजेपी में कई अहम जिम्मेदारियां भी दी गई. लेकिन 2009 में यशवंत सिन्हा ने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. यशवंत सिन्हा 2018 में बीजेपी से त्यागपत्र देने के बाद 2021 में टीएमसी में शामिल हो गए.


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