Indian Citizenship: देश में बीते 10 सालों में भारत के 70 हजार लोगों ने भारत की सदस्यता छोड़ दी है. एक आरटीआई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि बीते 10 सालों में 70 हजार से अधिक लोगों ने रीजनल पासपोर्ट ऑफिस में अपने पासपोर्ट सरेंडर कर दिए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत संख्या गोवा से है.


इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक गोवा, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, दिल्ली और चंडीगढ़ से लगभग 90 प्रतिशत लोगों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है और वह विदेशों में जाकर बस गए हैं.


संसद में क्या बोली थी सरकार?
एक आरटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, 2011 के बाद से लेकर अब तक 69,303 पासपोर्ट इस अवधि में छोड़ी गई भारतीय नागरिकता का केवल एक अंश भर है. इस साल 24 मार्च को विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने संसद में बताया था कि 2011 से लेकर बीते साल 31 अक्टूबर के बीच 16.21 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी.


क्यों सरेंडर कर रहे हैं पासपोर्ट
किसी व्यक्ति के पास किसी देश का पासपोर्ट होना उसके उस संबंधित देश के नागरिक होने का प्रथम और अंतिम प्रमाण पत्र होता है. वहीं, भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955  कहती है कि भारत में एक व्यक्ति दो देशों की नागरिकता नहीं ले सकता है. अगर आप भारत के नागरिक है तो आप ब्रिटेन के नागरिक नहीं हो सकते हैं. यदि आप ब्रिटेन में जाकर बस गये हैं और आपको वहां कि नागरिकता मिल गई है तो आपको भारत की नागरिकता छोड़नी होगी. इसलिए आपको भारत का पासपोर्ट भी सरेंडर करना होगा. 


इतनी बड़ी संख्या में देश के नागरिकों का पासपोर्ट सरेंडर करना दिखाता है कि बड़ी संख्या में देश के लोग दूसरे देशों के लिए रोजगार, शिक्षा और अन्य वजहों से गैर-मुल्कों में पलायन कर रहे हैं. आंकड़ों पर और नजर डालें तो भारतीयों को दुनिया के लगभग कई मुल्कों में पलायन करते हुए देखा जा सकता है, लेकिन उनकी पहली पसंद अमेरिका और यूरोप हैं.


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