6 अक्टूबर को बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पटना मेट्रो का उद्धाटन किया. यह पटना मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड चलाएगी और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने इसकी योजना बनाई है. कुल 5 चरणों में बनेगी और पहले चरण मे 4.3 किमी लंबा रूट है. यानी अब पटना भारत की 24वीं मेट्रो सिटी बन गई है. लेकिन फिर भी दिल्ली मेट्रो के बराबर किसी अन्य शहर की मेट्रो कामयाब नहीं हो पाई. जबकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो देश है.

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तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि दिल्ली के अलावा भारत में मेट्रो ट्रेन सर्विस कितनी कामयाब, आम जनता की नजरों में मेट्रो की अहमियत क्या और आने वाले समय में मेट्रो रेल नेटवर्क का क्या होगा...

सवाल 1- दिल्ली के अलावा भारत में कितने शहरों में मेट्रो चल रही हैं और मेट्रो नेटवर्क कितना लंबा है?जवाब- PIB की रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक भारत के 23 शहरों में मेट्रो चल रही है, जिनमें से 22 दिल्ली के बाहर हैं. कुल मेट्रो लाइन 1,013 किलोमीटर लंबी है. इसमें दिल्ली के 351 किमी. हटाने पर बाकी शहरों में लगभर 650 किमी है. इसके अलावा 660 किमी. मेट्रो लाइन निर्माणाधीन है.

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सवाल 2- क्या बाकी शहरों की मेट्रो दिल्ली जितनी कामयाब है?जवाब- नहीं. दिल्ली मेट्रो में रोजाना करीब 46 लाख यात्री सफर करते हैं, जो सबसे सफल है. बाकी शहरों में मेट्रो ने ट्रैफिक और प्रदूषण कम किया, लेकिन कई जगह कम यात्री और घाटे की समस्या है. मुंबई, बेंग्लुरु और हैदराबाद जैसी मेट्रो अच्छा कर रही हैं, लेकिन जयपुर, लखनऊ और आगरा में कम लोग मेट्रो का सफर करते हैं.

मुंबई में रोजाना करीब 5 लाख यात्री सफर करते हैं. यानी मुंबई के मुकाबले 9 गुना ज्यादा लोग दिल्ली मेट्रो से सफर करते हैं. वहीं बेंग्लुरु में 7 से 8 लाख यात्री सफर करते हैं. जयपुर में सिर्फ 20-30% अनुमानित यात्री हैं.

सवाल 3- मेट्रो की सफलता को कैसे मापा जाता है?जवाब- मेट्रो की सफलता को यात्री संख्या, ट्रैफिक में कमी, पर्यावरण पर असर और वित्तीय स्थिति से मापा जाता है...

  • यात्री संख्या: दिल्ली के अलावा 55 लाख से ज्यादा लोग रोज मेट्रो इस्तेमाल करते हैं, जो 2014 के 28 लाख से दोगुना है.
  • ट्रैफिक: मेट्रो ने 15 शहरों में यात्रा समय 30-50% तक कम किया.
  • प्रदूषण: 20-30% प्रदूषण कम हुआ.
  • वित्तीय स्थिति: मुंबई लाइन 1 को छोड़कर ज्यादातर मेट्रो घाटे में हैं, क्योंकि टिकट से होने वाली कमाई लाग का 10-43% ही है.

सवाल 3- भारत में मेट्रो की सफलता पर एक्सपर्ट्स और जनता की राय क्या?जवाब- एक्सपर्ट्स मेट्रो को शहरीकरण का समाधान मानते हैं, लेकिन 'वन साइज फिट्स ऑल नीति' की आलोचना भी करते हैं. अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक परिवहन संघ यानी UITP के मुताबिक, मुंबई, बेंग्लुरु औऱ चेन्नई जैसी मेट्रो ने यातायात दक्षता बढ़ाई और आर्थिक विकास को गति दी. IIT दिल्ली की 2024 रिपोर्ट में कहा गया कि मेट्रो ने शहरी प्रदूषण 15-20% कम किया. लेकिन कुछ ऐसे शहर भी हैं, जहां मेट्रो का इस्तेमाल कम होता है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब भी किसी शहर में नई मेट्रो शुरू होती है, तो लोगों में बहुत उत्साह होता है. मगर फिर धीरे-धीरे इसका क्रेज खत्म हो जाता है. दिल्ली में मेट्रो इसलिए सफल है क्योंकि वहां की आबादी बहुत ज्यादा है और मेट्रो जरूरत बन चुकी है. दिल्ली में ट्रैफिक की वजह से लोग अपनी कार-बाइक की जगह मेट्रो को चुनते हैं. जबकि बाकी शहरों में ऐसा नहीं है. अन्य शहरों में लोग मेट्रो में परेशान होने की जगह खुद की गाड़ी का इस्तेमाल करना ठीक समझते हैं. छोटे शहरों में मेट्रो से आसानी से कहीं भी जाया जा सकता है, लेकिन मेट्रो तक जाना मुश्किल होता है.

इसी तरह पटना में मेट्रो उद्धाटन पर जनता बेहद खुश है. पटना के ब्लू लाइन में यात्रा करने को लेकर उत्साहित एक यात्री ने ABP न्यूज से कहा कि हम बहुत खुश हैं. ट्रैफिक की वजह से काफी दिक्कत हो रही थी. अब मेट्रो में सफर करने से टाइम बचेगा.

सवाल 4- तो क्या आने वाले समय में भारत में मेट्रो बाकी देशों की तरह सफल हो पाएगी?जवाब- एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आने वाले समय में भारत में मेट्रो रेल सिस्टम सफल हो सकता है क्योंकि यह तेजी से बढ़ रहा है. फीडर सिस्टम, सस्ता किराया और तकनीकी अपग्रेड मेट्रो को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है. मेट्रो की सफलता की 2 बड़ी वजहें हैं...

1. भारत की शहरी आबादी 2030 तक 60 करोड़ होगी. तेज शहरीकरण से मेट्रो की मांग बढ़ेगी.2. केंद्र सरकार ने 2047 तक 100 शहों में मेट्रो का टारगेट रखा है. 660 किमी निर्माणाधीन हैं और 2030 तक 2 हजार किमी. मेट्रो पूरी करने का प्लान है.