नई दिल्ली: बजट के बाद से बाजार गिरना शुरू हुआ तो कल इसके असर से दलाल स्ट्रीट पर लाल रंग छा गया. सेंसेक्स में कल एक समय 888 अंकों तक की गिरावट देखी गई थी. बाजार में एक तरह से ब्लैक फ्राइडे देखा गया और इसके पीछे सिर्फ एक वजह है बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स का लगाया जाना.

सबसे पहले जानें क्या है लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स शेयरों, इक्विटी और रियल एस्टेट को एक निश्चित समय तक रखने के बाद उनसे कमाए मुनाफे पर लगने वाले टैक्स को एलटीसीजी या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स कहा जा सकता है.

बजट में क्या हुआ है प्रावधान इस बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एलटीसीजी को फिर से लागू किया है जिसके बाद शेयर बाजार में इसको लेकर आशंकाएं बन गईं और मार्केट बुरी तरह टूट गया. जिन निवेशकों ने शेयरों या म्यूचुअल फंड को एक साल से ज्यादा समय तक रखने के बाद 1 लाख रुपये से ज्यादा का मुनाफा कमाया है उन्हें 10 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. अभी तक शेयरों, म्यूचुअल फंड की कमाई एलटीसीजी टैक्स से मुक्त थी. टैक्स के नजरिए से देखा जाए 1 साल से ज्यादा के निवेशकों को लॉन्ग टर्म इंवेस्टर कहा जाता है. साल 2004-2005 में ये लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने हटा लिया था.

कब से लागू हो जाएगा लॉन्ग टर्न कैपिटल गेन बजट में प्रस्ताव किया गया है कि एलटीसीजी 31 मार्च के बाद से बुक किए गए मुनाफे पर लगाया जाए. इसका मतलब है कि मार्च तक बेचे गए शेयरों के ऊपर आपको कोई एलटीसीजी नहीं देना होगा. इसका साफ मतलब है कि अगर मार्च तक आप 1 साल के रखे हुए शेयर बेचते हैं तो आपको टैक्स नहीं देना होगा. साथ ही एक वित्त वर्ष में अगर एलटीसीजी लगेगा तो वो 1 लाख रुपये से ऊपर के मुनाफे पर लगेगा. तो अगर एक निवेशक ने 1.5 लाख रुपये का लॉन्ग टर्म गेन कमाया है तो एलटीसीजी केवल 50,000 रुपये पर लगेगा. (1.5 लाख- 1 लाख रुपये = 50 हजार रुपये)

31 जनवरी तक कैसे मिलेगा एलटीसीजी पर टैक्स अगर कोई निवेशक 1 अप्रैल के बाद अपने लॉन्ग टर्म शेयर बेचता है तो एलटीसीजी या तो 1 जनवरी के क्लोजिंग प्राइस पर लगेगा या जिस समय खरीदे गए थे, उस समय के प्राइस पर लगेगा. (दोनो में से जो भी ज्यादा हो) उदाहरण के लिए देखें तो अगर एक शेयर 15 जनवरी 2017 को 100 रुपये की कीमत पर खरीदा गया है जो कि 31 जनवरी 2018 को 200 रुपये पर बंद हुआ है और 31 मार्च के बाद बेचा जा रहा है तो इस पर टैक्स का निर्धारण 31 जनवरी के प्राइस के आधार पर होगी जो कि लिए गए समय से ज्यादा है.