कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों को लेकर आज फैसला होने वाला है. दो दिन से चल रही खींचतान के बीच सिद्धारमैया के नाम पर सहमति बनने के संकेत हैं. इसी बीच मुख्यमंत्री पद की प्रबल इच्छा रखने वाले डीके शिवकुमार ने पहले दिल्ली आने से मना कर दिया, उसके बाद वो दिल्ली के लिए निकल चुके हैं. अब अटकलें लगने लगी हैं कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. 


खबर के मुताबिक डीके शिवकुमार ने कहा "मेरी ताकत 135 विधायक हैं. मेरे नेतृत्व में ही पार्टी ने इतनी सीटें जीती हैं. मैंने जो कहा कर दिखाया. सिद्धारमैया को शिवकुमार ने जवाब देते हुए कहा " सभी विधायक कांग्रेस के हैं. उनके पास एक भी विधायक नहीं हैं. पार्टी नेतृत्व को जो फैसला करना है करे. शिवकुमार ने तंज कसते हुए ये भी कहा कि सिद्धरमैया के पास ज्यादा विधायक हैं. मैं उन्हें अभी से शुभकामनाएं दे रहा हूं. 


ये दावा है कि सिद्धारमैया के समर्थन में 89 विधायक हैं. पार्टी नेतृत्व के बुलावे पर सिद्धारमैया दिल्ली पहुंच चुके हैं. वहीं शिवकुमार ने बीमारी का बहाना बना कर पहले पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोशिश की, उसके बाद वो दिल्ली के लिए निकल चुके हैं.


खबर के मुताबिक नेतृत्व शिवकुमार को नाराज नहीं करना चाहता. ऐसे में अब उन्हें अहम विभागों के साथ उपमुख्यमंत्री पद का प्रस्ताव दिया गया है. खबरों के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व अभी तक शिवकुमार को राजी नहीं कर पाया है. 


वहीं सिद्धारमैया शिवकुमार से पहले ही ज्यादा विधायकों का समर्थन होने की बात कह चुके हैं. शिवकुमार ने इसका जवाब देते हुए कहा कि पार्टी ने मेरे नेतृत्व में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 


18 या 20 मई को शपथ ले सकती है नई सरकार 


वहीं कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला का कहना है की सीएम का चयन करने में खरगे ज्यादा वक्त नहीं लेंगे. सूत्रों के मुताबिक सोनिया और राहुल गांधी से  मशविरा करके मंगलवार तक सीएम पद के नाम की घोषणा हो जाएगी. कांग्रेस ने शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. 


पर्ची के जरिए सीएम के लिए कराया गया था गुप्त मतदान


खरगे ने सोमवार को अपने और राज्य के एआईसीसी प्रभारी रणदीप सुरजेवाला द्वारा भेजे गए तीन पर्यवेक्षकों से मुलाकात की. उन्होंने एआईसीसी महासचिव और संगठन प्रभारी के सी वेणुगोपाल के साथ भी बैठक की. पर्यवेक्षकों सुशील कुमार शिंदे, एआईसीसी महासचिव जितेंद्र सिंह और पूर्व महासचिव दीपक बाबरिया शामिल थे. 


रविवार रात बेंगलुरु में तीनों पर्यवेक्षकों ने कर्नाटक के सभी 135 नवनिर्वाचित पार्टी विधायकों की राय जानी. सभी ने रविवार रात पर्ची के जरिए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर गुप्त मतदान किया. विधायकों की रायशुमारी के बाद सोमवार को दिल्ली पहुंचे तीनों पर्यवेक्षकों ने खरगे के आवास पर जाकर रिपोर्ट के साथ गुप्त मतदान की पेटी सौंपी. रिपोर्ट के आधार पर खरगे सिद्धरमैया और शिवकुमार से चर्चा करेंगे. सूत्रों के मुताबिक अधिकांश विधायकों ने सिद्धारमैया को अपनी पसंद बताया है. 


ढाई साल के लिए सीएम बनने के फॉर्मूले की भी चर्चा


विधायकों की रायशुमारी में सिद्धारमैया का पलड़ा भारी है, मगर चुनावी जीत में शिवकुमार की बड़ी भूमिका की अनदेखी नहीं की जा सकती. ऐसे में आलाकमान दोनों के बीच सहमति बनाने की कोशिश कर रही है. इसमें दोनों के दो-दो साल के लिए सीएम बनाए जाने को लेकर भी चर्चा है. अटकलें है कि पहला मौका सिद्धारमैया को मिलेगा. लेकिन राजस्थान के अनुभवों को देखते हुए शिवकुमार कोई भी जोखिम उठाने के मूड में नहीं नजर आ रहे हैं. 


बता दें कि डीके शिवकुमार के दिल्ली आने के टालमटोल में अपने भाई को दिल्ली भेजने का कदम भी ये इशारा करता है कि शिवकुमार नेतृत्व को लेकर अपनी दावेदारी पर किसी भी तरह से कमजोर पड़ने का संदेश नहीं देना चाह रहे हैं. 


शिवकुमार की छवि को लेकर आसमंजस में कांग्रेस? 


शिवकुमार से नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने न सिर्फ मामले में पूछताछ की है, बल्कि उन्हें जेल भी भेजा गया है. अगर शिवकुमार को सीएम बनाया जाता है तो केंद्रीय एजेंसियां आगे भी कांग्रेस से इस सिलसिले में पूछताछ करेंगी. साथ ही बीजेपी भी आम चुनाव में इस मुद्दे को उछालेगी. यही कारण है कि कांग्रेस सिद्धारमैया की 'साफ-सुथरी' छवि को प्राथमिकता दे सकती है. 


हालांकि, शिवकुमार के समर्थन का तर्क है कि कर्नाटक में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत न केवल राज्य प्रमुख की संगठनात्मक क्षमताओं के कारण है, बल्कि वोक्कालिगा की वजह से भी है, जिस जाति से वह आते हैं.  पुराने मैसूर क्षेत्र में भी कांग्रेस के लिए भारी मतदान किया गया, जिसे पूर्व प्रधान मंत्री एचडी देवेगौड़ा के जनता दल-सेक्युलर का गढ़ माना जाता है. 


कांग्रेस ने जारी की तस्वीरें


जीत के बाद कांग्रेस ने एक पोस्टर भी जारी किया था. पोस्टर में बजरंगबली के साथ मुस्कुराते हुए कांग्रेस के तीन बड़े नेता राहुल गांधी, डी के शिवकुमार और सिद्धारमैया थे. राहुल गांधी शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच थे. राहुल गांधी का बायां हाथ सिद्धारमैया के कंधे पर है और दायां हाथ शिवकुमार के कंधे पर. कांग्रेस के इस तस्वीर का जारी करने का मतलब मैसेज देना भी हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी में दोनों नेताओं के बीच सबकुछ ठीक है.


लेकिन दोनों ही नेताओं के सीएम की दावेदारी को लेकर अपने-अपने पोस्टर भी लगाए गए हैं. एक तरफ सिद्धारमैया के समर्थन में पोस्टर लगाए जा रहे हैं तो दूसरी ओर पोस्टर में शिवकुमार को सीएम बनाकर पेश किया जा रहा है. खबरों के मुताबिक एक कांग्रेस नेता का कहना है कि किसी भी आदमी से आप पूछेंगे तो बताएंगे कि सिद्धारमैया सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं, और शिवकुमार संगठन चलाने में मास्टर हैं. दोनों को मिलाकर सरकार बनाएंगे.


एक अन्य नेता का कहना है कि दो सीएम के दावेदार हैं और भी छुपे रुस्तम हो सकते हैं, जिसकी तकदीर में है उसको जाएगा. एक भी डिप्टी सीएम हो सकते हैं. एक से ज्यादा भी हो सकते हैं. वो सब तय होना है. मुझे मालूम नहीं. 


कर्नाटक में अभी क्या है स्थिति? 5 प्वाइंट 


कर्नाटक कांग्रेस में नए सीएम को लेकर 5 तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ा हुआ है. पहला ये कि मुख्यमंत्री के साथ 3 उप-मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं.



  • दूसरा लिंगायत, वोक्कालिगा और दलित समाज से एक-एक उप-मुख्यमंत्री हो सकते हैं. इनमें एक नाम शिवकुमार का भी है जो वोक्कालिगा समाज से हैं.

  • तीसरा ये कि शिवकुमार एक से ज्यादा उप-मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार नहीं हैं. 

  • चौथा - शिवकुमार खेमे से दावा किया जा रहा है कि उनके पास ज्यादा विधायक हैं.

  • पांचवां ये कि शिवकुमार ने बयान दिया है कि उन्होंने पार्टी के लिए कई बार कुर्बानी दी है और सिद्धारमैया का हमेशा सहयोग किया है.


कौन हैं सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार?


शिवकुमार राहुल के साथ-साथ सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के भरोसेमंद हैं. शिवकुमार ने सोनिया के दाहिने हाथ रह चुके अहमद पटेल के साथ मिलकर काम किया है. एक कारक जो डीके शिवकुमार के पक्ष में फैसला ला सकता है, वह वोक्कालिगा समुदाय और लिंगायत उप-समूह पंचमसालियों  के बीच उनका समर्थन है. 


सिद्धारमैया के पास सरकार चलाने का अनुभव है. साल 2013 से 2018 तक वो कर्नाटक के सीएम रह चुके हैं. वहीं डीके शिवकुमार ने अपने नेतृत्व में कांग्रेस को इस बार विधानसभा चुनाव जिताया है. वो 23 साल की उम्र से राजनीति में हैं.


सिद्धारमैया कर्नाटक में कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता हैं. वहीं शिवकुमार का दावा इसलिए मजबूत है क्योंकि उन्होंने इस चुनाव में बतौर प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस को लीड किया है और कामयाबी दिलाई है. सिद्धारमैया के पक्ष 135 जीतने वाले उम्मीदवारों में से 90 विधायकों का समर्थन है. 


मिशन 2024 के लिए सिद्धारमैया OBC कुरबा वोट के लिहाज से अहम भूमिका निभा सकते हैं. वहीं शिवकुमार को कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता है. सिद्धारमैया राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं.