UP News: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए प्रदेश की योगी सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला किया है. उन्होंने एक ही झटके में 3 लाख मुकदमें वापस लेने के आदेश दिए गए हैं. ये सभी केस कोरोना काल में पुलिस ने दर्ज किए थे. कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने के आरोप में ये सारे मुक़दमें महामारी एक्ट के तहत लगाए गए थे.


क़ानून मंत्री प्रदेश पाठक ने की पहल


राज्य के क़ानून मंत्री प्रदेश पाठक की पहल पर ये बड़ा फ़ैसला किया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी के बीजेपी प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान के साथ विधायकों की बैठक में ये मुद्दा उठाया गया था. बीजेपी नेताओं की तरफ़ से कहा गया था कि मुक़दमों के कारण लोगों को कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इससे सरकार के लिए अच्छा मैसेज नहीं जा रहा है.'


वापस लिए गए कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने के 3 लाख मुकदमें


इसके बाद जन प्रतिनिधियों की मांग पर क़ानून विभाग ने प्रस्ताव बनाया, सभी ज़िलों से मुक़दमों के ब्यौरे मंगाए गए और फिर केस वापस लेने का फ़ैसला ले लिया गया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस सिलसिले में 8 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया था.


किसे नहीं मिले राहत


मुक़दमा वापस लेने के फ़ैसले से सांसदों, विधायकों, पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों को कोई छूट नहीं दी गई है. सिर्फ़ वहीं केस वापस लिए जा रहे हैं, जिसमें अधिकतम दो साल तक की सजा हो सकती है या फिर जुर्माना हो सकता है. इससे अधिक सजा वाले मुक़दमों को किसी को कोई भी राहत नहीं देने का फ़ैसला हुआ है. क़ानून विभाग ने केस वापस लेने के आदेश के बारे में सभी ज़िलों के डीएम को चिट्ठी भेज दी है. यूपी में कुल 75 ज़िले हैं. आज जारी आदेश की कॉपी गृह विभाग के एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी और डीजीपी को भी भेज दी गई है.


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