लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से एबीपी न्यूज ने खास बातचीत में पूछा कि क्या आप अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के शिलान्यास में जाएंगे? इस सवाल के जवाब में योगी ने कहा, ''मुख्यमंत्री के रूप में पूछेंगे तो हमें किसी धर्म, संप्रदाय, मजहब से कोई तकलीफ नहीं है. योगी के तौर पर पूछेंगे तो मैं कतई नहीं जाऊंगा."


मुख्यमंत्री ने आगे कहा, 'मुझे अपनी उपासना को व्यक्त करने का पूरा अधिकार है. मुझे दूसरे के कार्य में जाने का कोई अधिकार नहीं है. याद रखें कि जब हम रोजा-इफ्तार में टोपी पहनकर बर्ताव करते हैं यह धर्मनिरपेक्षता नहीं है. यह जनता जानती है. मस्जिद शिलान्यास कार्यक्रम में न तो मुझे कोई बुलाएगा और न ही मैं जाऊंगा. जिस दिन मुझे बुला लेंगे धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जाएगी.''


उन्होंने कहा, ''राम हर जगह हैं. उन्हें ढूंढने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन उन्हें वो स्थान मिलना चाहिए, जो जन्मभूमि है. 1885 में इस मामले का समाधान हो सकता था. लेकिन इसका समाधान नहीं निकाला गया. अंग्रेज भी इसका समाधान नहीं चाहते थे. संघर्ष चलता रहा. 1934 में कीर्तन शुरू हुआ. राम की तस्वीर लगा दी गई. 1949 में राम लला का प्रकटीकरण होता है. 1986 में ताला खुलता है. मुद्दा मंदिर निर्माण का नहीं था. मुद्दा जन्मभूमि का था. जन्मभूमि पर रामलला ही विराजमान होंगे इसको लेकर लड़ाई चल रही थी. राम के बहुत मंदिर हैं, सवाल मंदिर का नहीं है.''


सीएम का कांग्रेस पर निशाना
सीएम योगी ने कहा कि कांग्रेस चाहती थी कि विवाद बना रहे. कांग्रेस मंदिर दूर चाहती थी. कांग्रेस ने वोट के लिए विवाद पैदा किया. इन नेताओं को संवैधानिक मूल्यों की जरा सी भी जानकारी नहीं है. संविधान के पृष्ठ पर राम, सीता को दिखाया गया. राम लोकतांत्रिक मूल्यों के मजबूत आधार हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने पूजा की ये आम जनता के लिए गौरव की बात है. जब कोर्ट में मामला था तो प्रधानमंत्री कभी अयोध्या नहीं गए. मैं मुख्यमंत्री के नाते जरूर गया था.


योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के नेताओं को सख्त हिदायत दी थी कि आप वेबजह बयानबाजी नहीं करें. कोर्ट का फैसला आने दें. उन्होंने कहा कि जब हमने मकान दिया, गैस दिया, किसानों को मदद दी तो हिंदू मुस्लिम नहीं किया. इसमें कोई मजहब नहीं था.


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