Year Ender Of 2023: साल 2023 को सुप्रीम कोर्ट के कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसलों के रूप में भी जाना जाएगा. क्योंकि देश की सर्वोच्च अदालत ने इस साल आर्टिकल 370, जल्लीकट्टू, समलैंगिक विवाह, दिल्ली में सरकार बनाम उपराज्यपाल, नोटबंदी और मैला ढोने की प्रथा के साथ-साथ दीर्घकालिक मुद्दों पर भी फैसला सुनाया.


इतना ही नहीं चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 1 जनवरी से लेकर 15 दिसंबर तक 52 हजार 191 केसों का निस्तारण करके एक रिकॉर्ड भी बनाया है. पिछले साल ये आंकड़ा 40 हजार का था. 2023 के पहले वर्किंग डे पर सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने 2016 की नोटबंदी योजना की वैधता को बरकरार रखा था. साल का अंत अदालत के एक और ऐतिहासिक फैसले के साथ हुआ, जिसने नरेंद्र मोदी सरकार के 2019 के आर्टिकल 370 के फैसले को बरकरार रखा. इन्हीं कुछ महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में जानेंगे.


नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला


साल की शुरुआती महीने जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि साल 2016 में केंद्र सरकार का डेमोनेटाइजेशन का निर्णय गैरकानूनी नहीं था. इस फैसले को पांच जजों की बेंच ने 4-1 के से फैसला सुनाया था. जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन ने सरकार के कदम को बरकरार रखा, जबकि जस्टिस बीवी नागरत्ना बहुमत के फैसले से असहमत थे.


जल्लीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला


सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू और कंबाला जैसी परंपरा को बरकरार रखा. कोर्ट ने बैल वश में करने वाले खेलों, बैलगाड़ी दौड़ को अनुमति देने के लिए पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 में तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र ने जो संसोधन किए थे उन्हें बरकरार रखा. जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि राज्य के संशोधनों ने संविधान और जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के 2014 के फैसले का उल्लंघन नहीं किया है.


समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया. पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि इस पर कानून बनाने का काम संसद का काम है और विवाह का अधिकार मौलिक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में विवाह समानता पर अपना फैसला सुनाते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, "ये कहना गलत होगा कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है.”


मैला ढोने की प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला


इस साल अक्टूबर के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने मैला ढोने के दौरान होने वाली मौतों पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी और इसे निंदनीय करार दिया था. देश में सीवर में होने वाली मौतों की घटनाओं पर गंभीर रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 20 अक्टूबर को कहा कि सरकारी अधिकारियों को सीवर की सफाई के दौरान मरने वालों के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा. पीठ ने कहा, "केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह खत्म हो जाए."


दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल केस पर सुप्रीम कोर्ट


देश की राजधानी दिल्ली में ब्यूरोक्रेसी को कौन नियंत्रित करता है? इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार के हक में सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने माना कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) की विधायी शक्तियों के बाहर के क्षेत्रों को छोड़कर, सेवाओं के प्रशासन में विधायिका का नौकरशाहों पर नियंत्रण है.


आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट


11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र के फैसले को सही माना था. देश की सबसे बड़ी अदालत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को निरस्त करने वाले केंद्र सरकार के फैसले को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की पांच-जजों की संविधान पीठ ने केंद्र को राज्य का दर्जा बहाल करने और विधान सभा चुनाव कराने का भी निर्देश दिया.


आर्टिकल 370 पर कोर्ट ने तीन फैसले सुनाए थे, एक खुद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत का, दूसरा जस्टिस कौल की ओर से सहमति निर्णय और तीसरा जस्टिस खन्ना की ओर से अन्य दो फैसलों पर सहमति.  


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