भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और बीजेपी नेता बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहलवान पिछले करीब एक महीने से धरना दे रहे हैं. दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों का ये धरना जारी है, जिसके बाद नई संसद के सामने महापंचायत की तैयारी हो रही है. बृजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप हैं. जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की मांग हो रही है. जंतर-मंतर पर बैठे पहलवानों में विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया जैसे बड़े पहलवान शामिल हैं. 


बृजभूषण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे मेडलिस्ट बजरंग पूनिया ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत करते हुए कहा, "हमें ये कभी भी नहीं लगा था कि हमारे इतने सारे मेडल जीतने के बावजूद हमारी आवाज नहीं सुनी जाएगी, हालांकि हकीकत कुछ और ही है."


कई लोग लंबे समय से पीड़ित- पूनिया
जंतर-मंतर पर पहलवानों के अलावा भी कई लोग ऐसे हैं, जो अपने हकों के लिए धरने पर बैठे हैं और लंबे वक्त से उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है. जिनमें मणिपुर के मैतई समुदाय के लोग भी हिंसा के विरोध में बैठे हैं, वहीं कुछ लोग बेरोजगारी की समस्या को लेकर बैठे हैं. ऐसे में पहलवान बजरंग पूनिया ने एचटी से बात करते हुए कहा कि  "कभी-कभी आपको एहसास होता है कि इस दुनिया में केवल आपका ही दुःख नहीं है. ऐसे कई लोग हैं जो ज्यादा और लंबे समय तक पीड़ित हैं. ”


'करियर खत्म होने का डर'
बजरंग पूनिया ने बृजभूषण सिंह को लेकर कहा कि "हम जानते हैं कि हम किसके खिलाफ हैं, लेकिन हम डरते नहीं हैं." पूनिया ने ये भी बताया कि जब दिसंबर में उन्होंने विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के साथ विरोध प्रदर्शन का फैसला किया था तो आगे की सभी संभावनाओं के बारे में सोचा था, लेकिन जिस तरह से अब चीजें सामने आ रही हैं, वो उनके दायरे से बाहर हैं. 


पूनिया ने इस बातचीत में कहा, "हम जानते थे कि हमारा करियर खत्म हो सकता है. हम जानते थे कि कोचिंग या प्रशासन जैसे करियर के बाद के विकल्प हमारे लिए उपलब्ध नहीं हो सकते हैं. हम जानते थे कि हमें झूठे मामलों में फंसाया जा सकता है, लेकिन जब कारण वास्तविक हो और संकल्प मजबूत हो तो डरने की कोई गुंजाइश नहीं होती. यह एक आसान फैसला नहीं था, लेकिन एक बार जब हमने मन बना लिया, तो कोई दूसरा विचार नहीं था."


ताकतवर लोगों के लिए अलग कानून
पूनिया ने अपने लंबे धरना-प्रदर्शन को लेकर कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह विरोध इतना लंबा चलेगा. हमने सोचा कि चूंकि हम अंतरराष्ट्रीय एथलीट हैं, इसलिए सरकार हमारी बात सुनेगी. हमारे लिए अपने करियर को जोखिम में डालने का पूरा प्वाइंट ही यही था. दुख होता है कि हमें ठंड में छोड़ दिया गया. लेकिन हम पहलवान हैं, बिना लड़े हारे नहीं, मुझे वास्तव में लगता है कि इस देश में दो तरह के कानून हैं, एक आम लोगों के लिए और दूसरा बृजभूषण सिंह जैसे शक्तिशाली लोगों के लिए है. 


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