Drinking Water Survey Report: हर साल 22 अगस्त को विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है. लोगों को पीने के लिए स्वच्छ, शुद्ध जल मिले और पानी का संरक्षण हो, ऐसी जरूरतों के बारे में ध्यान खींचने और जरूरी कदम उठाने के लिए इस दिन को दुनियाभर में मनाया जाता है. इसी अवसर पर भारत में पीने योग्य पानी और उसकी गुणवत्ता को लेकर एक एनजीओ ने कुछ आंकड़े साझा किए हैं.


लोकल सर्किल्स (Local Circles) नाम की गैर-सरकारी संस्था (NGO) ने 2023 के अपने सर्वे में दावा किया है कि भारत में जल आपूर्ति के आंकड़ों में पिछले वर्ष के मुकाबले सुधार आया लेकिन सर्वेक्षण में शामिल हुए केवल 3 फीसदी भारतीय परिवारों ने कहा कि स्थानीय निकाय से उन्हें पीने लायक गुणवत्ता वाला पानी मिलता है.


सर्वे के मुताबिक, 44 फीसदी लोगों ने घरों में नल के जरिये मिलने वाले पानी को 'अच्छा' बताया है लेकिन पीने में इस्तेमाल करने से पहले उसको शुद्ध करने (फ्यूरीफिकेशन) की जरूरत पर बल दिया है. नल के पानी को अच्छा बताने वाले लोगों की संख्या में पिछले वर्ष के मुकाबले इजाफा हुआ है. पिछले साल 35 फीसदी लोगों ने नल जल को अच्छा बताया था. 


पानी की क्वॉलिटी को लेकर ऐसे रहे लोगों के रिएक्शन


सर्वे के मुताबिक, 12,801 लोगों से जब स्थानीय नगर निकाय, जल विभाग और पंचायत के जरिये घरों में नल से पहुंचने वाले पानी की गुणवत्ता की रेटिंग के लिए पूछा गया तो सबसे ज्यादा 32 फीसदी लोगों ने इसे 'औसत' (Average) बताया. 29 फीसदी लोगों ने पानी की गुणवत्ता को 'अच्छा' बताया. पानी को 'बहुत अच्छा' बताने वाले केवल 15 फीसदी लोग रहे. 4 फीसदी लोगों ने जल की गुणवत्ता को 'बेहद खराब' भी बताया. 10 फीसदी लोगों ने इसे 'खराब' बताया. 8 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके 'घर में नल से पानी नहीं मिलता' है. वहीं, 2 फीसदी लोगों ने कहा कि 'बता नहीं सकते.'


वहीं, पिछले 12 महीनों में ऐसे परिवारों की संख्या 2 से 3 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जिन्होंने कहा है कि स्थानीय निकाय से उनके 'घरो में पीने योग्य गुणवत्ता वाला पानी उपलब्ध कराया जाता है.' 


पानी को शुद्ध करने के लिए क्या-क्या उपाय अपनाते हैं?


सर्वे में शामिल 72 फीसदी लोगों ने कहा कि स्थानीय निकाय से मिलने वाले पानी को शुद्ध बनाने के लिए उन्हें किसी प्रकार के आधुनिक फिल्ट्रेशन मैकेनिज्म का इस्तेमाल करना पड़ता है. पीने और खाना पकाने के लिए पानी को कैसे प्यूरीफाई करते हैं? यह पूछे जाने पर 44 फीसदी लोगों ने कहा कि वे आरओ (RO) का इस्तेमाल करते हैं. 28 फीसदी लोगों ने कहा कि वे 'वॉटर प्यूरीफायर' का इस्तेमाल करते हैं.


2 फीसदी लोगों ने कहा कि वे 'क्लोरीन, फिटकरी या अन्य जरूरी मिनरल्स' का इस्तेमाल करके पानी को शुद्ध करते हैं. 11 फीसदी लोगों ने उबालकर पानी को शुद्ध करने की बात कही. 5 फीसदी लोगों ने कहा कि पानी को शुद्ध करने के लिए मिट्टी के बर्तनों (जैसे कि घड़ा) का इस्तेमाल करते हैं. 5 फीसदी लोगों ने कहा कि वे पानी को शुद्ध नहीं करते हैं, इसके उलट पीने और भोजन बनाने के लिए बोतल बंद पानी की सप्लाई पर निर्भर करते हैं. 


इतने लोगों से ली गईं प्रतिक्रियाएं


सर्वे के मुताबिक, देश के 305 जिलों में 26,000 लोगों से पानी के संबंध में सवाल-जवाब किए गए. उनमें 63 फीसदी पुरुष और 37 फीसदी महिलाएं शामिल थीं. टियर 1 से लेकर टियर 4 की श्रेणी वाले जिलों के उन लोगों को सर्वे में शामिल किया गया, जिन्हें अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराने के लिए एनजीओ में रजिस्टर करना जरूरी होता है. 


सर्वे में यह भी बताया गया है कि 2019 के बाद से बहुत कुछ बदल गया है, जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय के निर्माण के साथ पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय (MDWS) का पुनर्गठन किया है. 


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