Woman Judge gets relief from Supreme Court: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा कर इस्तीफा देने वाली पूर्व महिला जज को सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा बहाल कर दिया है. महिला जज ने अपनी दोबारा बहाली का अनुरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जज को 2014 से अब तक का वेतन नहीं मिलेगा. लेकिन रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले पद से जुड़े लाभ पर इसका असर नहीं होगा.


2014 में ग्वालियर की एडिशनल सेशन्स जज रही महिला ने इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने हाई कोर्ट के एक जज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. मामला संसद में पहुंचा. संसद ने जजेस इन्क्वारी एक्ट के प्रावधानों के तहत आरोपों की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमिटी बना दी. कमिटी के सदस्य थे- जस्टिस आर. भानुमति (सुप्रीम कोर्ट की तत्कालीन जज), जस्टिस मंजुला चेल्लुर (बॉम्बे हाई कोर्ट की तत्कालीन चीफ जस्टिस) और वरिष्ठ वकील के के वेणुगोपाल (वर्तमान एटॉर्नी जनरल). कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि आरोप साबित नहीं हो रहे.


2018 में महिला जज ने अपनी दोबारा बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने कहा कि उनका अचानक ग्वालियर से ट्रांसफर कर दिया गया था. इस तरह उन्हें परेशान कर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया. अब वह दोबारा काम करना चाहती हैं. लेकिन हाई कोर्ट की फुल बेंच ने उनका अनुरोध ठुकरा दिया है. महिला जज ने यह भी कहा कि वह मध्य प्रदेश की जगह राजस्थान या हिमाचल प्रदेश में काम करने को तैयार हैं.


मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आर गवई की बेंच ने जन को दोबारा न्यायिक सेवा में लिए जाने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल ने दलील दी थी कि जज ने अपनी इच्छा से इस्तीफा दिया था. लेकिन जजों ने कहा कि महिला जज का इस्तीफा पूरी तरह ऐच्छिक नहीं कहा जा सकता।.इसलिए, उसे बहाल किया जा रहा है. हालांकि, 2014 से अब तक की अवधि का वेतन नहीं मिलेगा. लेकिन उसे अपने पद के अनुसार सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले सभी लाभ मिलेंगे. 


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