Chennai Rains: पूरे साल पानी की कमी से जूझने वाला शहर चेन्नई मानसून आते ही बाढ़ में डूब जाता है. समुंदर किनारे बसे होने के बावजूद ये शहर बार बार बाढ़ की आपदा झेलने को मजबूर है.


बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है पर इसमें मनुष्यों का योगदान अब बढ़ गया है खासतौर से नगरीय बाढ़ में. चेन्नई की तीन बड़ी झीलों के आसपास अतिक्रमण इतना ज्यादा हो गया है कि ये झीलें अब आकार में सिकुड़ गई हैं. यही हाल अड्यार नदी का भी है.


रटेरी झील के पास इलाका है मनली ये इलाका बाढ़ से ग्रस्त है. दो दिनों तक बारिश होने के बाद बाकी इलाकों से पानी उतरने लगा पर यहां हालात जस के तस हैं. मनली रटेरी झील के वेटलैंड पर बस हुआ है. पास में झील है जो कि जब जब ओवरफ्लो होती है इस इलाके को डुबा देती है.


सरकारें नहीं उठा रही ठोस कदम


अतिक्रमण से इस तरह बढ़ने के बावजूद सरकारें इस पर ठोस कदम नहीं उठाती. नदियों के आसपास घर और इमारतें बनाकर उनका रास्ता रोक दिया गया और तमाम छोटी झीलों का अस्तित्व ही अतिक्रमण ने नष्ट कर दिया. आज हालात ये हैं कि चेन्नई में वेटलैंड्स पर इस वक्त करीब डेढ़ लाख से ज्यादा अवैध निर्माण हो चुके हैं.


स्थिति के लिए जिम्मेदार बैड इकोनॉमी है-पर्यावरणविद


पर्यावरणविद नित्यानंद कहते हैं कि ये एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान एक दिन में नहीं निकलने वाला. इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं इसलिए प्लानिंग भी उतनी ही गहराई से होनी चाहिए. इस स्थिति के लिए जिम्मेदार बैड इकोनॉमी है. इलाज एक ही है कि इस पर शुरू से कम किया जाए न कि हर साल हल्के में निपटा दिया जाए.


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