नई दिल्ली: राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास से मिले दान पर बीजेपी द्वारा सवाल उठाए जाने के पलटवार के तौर पर बाद कांग्रेस ने चीनी कंपनियों द्वारा पीएम केयर्स फंड में करोड़ों रुपए दान दिए जाने से जुड़ी खबरों को लेकर सवाल उठाया है. कांग्रेस ने मोदी सरकार से पूछा है कि एक तरफ चीनी फौज हमारी जमीन में घुस आई है, वहीं दूसरी तरफ चीनी कंपनियों की तरफ से पीएम केयर्स फंड को मिले करोड़ों रुपयों को क्यों स्वीकार किया गया है? कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर चीन के प्रति नरम होने का आरोप लगाते हुए बीजेपी और आरएसएस के बड़े नेताओं के चीन के दौरों को लेकर भी सवाल उठाया है.


कांग्रेस ने पीएम केयर्स फंड के ऑडिट और फंड को आरटीआई से बाहर रखने को लेकर सवाल खड़ा करते पीएम केयर्स फंड को प्रधानमंत्री का 'निजी फंड' बताया और पूछा है कि अगर गैर पारदर्शी तरीके से चीनी कंपनियों ने करोड़ों रुपए स्वीकार कर प्रधानमंत्री अपनी स्थिति से समझौता करेंगे तो फिर वह सीमा पर चीनी अतिक्रमण से देश की रक्षा कैसे करेंगे?


कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रधानमंत्री से सवाल पूछा है, "क्या चीन की विवादित कंपनी हुवेई से पीएम केयर्स फंड को 7 करोड़ रुपए मिले? क्या हुवेई का चीन की फौज से सीधा संबंध है?क्या टिक टॉक को चलाने वाली कंपनी ने 30 करोड़, ओप्पो ने 1 करोड़, जिओमी ने 1 पीएम केयर्स फंड में 30 करोड़ रुपए जमा किया है?"


कांग्रेस ने पेटीएम को 38 फीसदी चीनी स्वामित्व वाली कंपनी बताते हुए पूछा है कि क्या पेटीएम ने पीएम केयर्स फंड में 100 करोड़ दान दिया है?  कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि चीन को लेकर प्रधानमंत्री के मन में 'सॉफ्ट कार्नर' है.


कांग्रेस के मुताबिक मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी ने चार बार चीन का दौरा किया और प्रधानमंत्री बनने के बाद पांच बार चीन का दौरा किया और 18 बैठकें कीं. सिंघवी ने राजनाथ सिंह से लेकर नितिन गडकरी जैसे बीजेपी के पूर्व अध्यक्षों और आरएसएस के प्रतिनिधिमंडल के चीन दौरों की संख्या को लेकर सवाल उठाया है. सिंघवी ने कहा कि भारत के किसी भी राजनीतिक दल के अध्यक्षों ने इतनी बार चीन का दौरा नहीं किया.


कांग्रेस ने एक बार फिर कहा है कि लद्दाख के गलवान घाटी, पैंगोंग झील क्षेत्र और डेपसंग के इलाकों में चीनी घुसपैठ और कब्जे को मोदी सरकार दबाने में लगी है और चीनी घुसपैठ को नकार कर प्रधानमंत्री ने चीनी एजेंडे को ताकत पहुंचाई है.


कांग्रेस का आरोप है कि इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए राजीव गांधी फाउंडेशन के बहाने कांग्रेस पर निशाना साधा जा रहा है. कांग्रेस ने पूछा है कि अगर 2005 में चीनी दूतावास से पैसा लेना गलत था तो फिर 2013 से लेकर अब तक चीन की हरकत को देखते हुए चीनी कंपनियों से चंदा लेना सही कैसे है?  कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के 'मन की बात' कार्यक्रम में सीमा पर तनाव के जिक्र में चीन का नाम ना लेने पर भी निशाना साधा है और चीन का नाम न लेने की वजह पूछी है.


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