नई दिल्ली: ठाकरे परिवार का कोई भी सदस्य पहली बार चुनाव मैदान में ताल ठोकेगा. ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी बाल ठाकरे के बाद उद्धव ठाकरे और अब उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे शिवसेना की कमान संभालने को तैयार हैं. लेकिन उससे पहले आदित्य ठाकरे शिवसेना की इतिहास में एक नई इबारत लिखने की तैयारी कर रहे हैं. वे चुनावी राजनीति में उतरने वाले ठाकरे परिवार के पहले शख्स होंगे. मुंबई के बांद्रा इलाके में रहने वाले आदित्य, वर्ली विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाएंगे. आज इसकी औपचारिक रूप से घोषणा भी कर दी गई, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर ठाकरे परिवार के आदित्य ने वर्ली सीट को ही अपनी पहली चुनावी राजनीति के लिए क्यों चुना? हम आपको बताते हैं कि आदित्य ठाकरे ने वर्ली सीट से चुनाव लड़ने का फैसला क्यों लिया हैं.
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लोकसभा चुनाव में मुंबई के जिस लोकसभा में वर्ली विधानसभा आती है वहां से सबसे ज्यादा लीड शिवसेना सांसद अरविंद सावंत को मिली थी, तकरीबन 38000 वोटों की लीड से अरविंद सावंत इस विधानसभा से जीते थे और यहां से मिली जीत के दम पर उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार मिलिंद देवड़ा को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया था.
वर्ली सीट परंपरागत रूप से शिवसेना की सीट मानी जाती रही है. शिवसेना के ही सुनील शिंदे फिलहाल वर्ली विधानसभा से मौजूदा विधायक हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में सुनील शिंदे को 60,000 से ज्यादा वोट मिले थे. उन्होंने एनसीपी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री सचिन अहिर को 20,000 से ज्यादा वोटों से हराया था. अब सचिन अहिर भी शिवसेना में शामिल हो गए. इसने आदित्य ठाकरे के लिए वर्ली सीट को और भी आसान बना दिया है.
बांद्रा इलाका, जहां पर शिवसेना प्रमुख ठाकरे परिवार रहता है वो विधानसभा बांद्रा ईस्ट है. इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी बड़ी तादाद में है और ऐसी सूरत में शिवसेना की जीत की राह में यह मुस्लिम वोटर रोड़ा भी बन सकते थे. हालांकि बांद्रा ईस्ट विधानसभा भी शिवसेना के पास ही है लेकिन उसके बावजूद आदित्य ठाकरे ने अपनी पहली चुनावी जीत के लिए वर्ली सीट को ही मुफीद समझा.
वर्ली इलाका बड़े कॉर्पोरेट कंपनी के दफ्तरों के लिए जाना जाता है. यह इलाका खासतौर पर मराठी समुदाय का गढ़ है और एक बड़ी वजह इस सीट को चुनने के पीछे मराठी समुदाय को बड़ी तादाद में होना भी हैं.
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वर्ली विधानसभा शिव सेना के सबसे मजबूत गढ़ में से एक है और शिवसेना का सबसे ज्यादा मजबूत गढ़ भी समझा जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र के भीतर आने वाली बीएमसी के सभी छह पार्षद शिवसेना के ही हैं. इसलिए माना जा रहा है कि आदित्य ठाकरे के लिए यहां जीतना बेहद आसान होगा.