Maulana Khalid Saifullah Rahmani: मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का नया अध्यक्ष चुना गया है. नए अध्यक्ष का चुनाव इंदौर की दो दिवसीय बैठक के दौरान किया गया. दरअसल, 13 अप्रैल 2023 को AIMPLB के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी का 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था. उन्होंने लखनऊ के नदवा मदरसे में आखिरी सांस ली थी. नदवी के निधन के बाद से ही बोर्ड के अध्यक्ष का पद खाली हो गया था, जिसके बाद 3 जून को सर्वसम्मति से मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी के नाम पर मुहर लगाई गई.


मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी का जन्म 5 नवंबर 1956 में बिहार के दरभंगा में हुआ था. वह मौलाना मुजाहिदुल इस्लामी कासमी के भतीजे हैं. मौलाना मुजाहिदुल इस्लामी कासमी इस्लामिक फिक एकेडमी के संस्थापक और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं. मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की शिक्षा पर बात करें तो वह जामिया रहमानी मुंगेर और दारुल उलूम देवबंद से पढ़े हुए हैं. हैदराबाद के रहने वाले मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी पेशे से एक लेखक और इस्लामिक धर्म शास्त्री हैं.


इन अहम पदों पर रहे कार्यरत 
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी भारत के एक प्रतिष्ठित न्यायविद, कई न्यायशास्त्र पुस्तकों के लेखक और शरिया विज्ञान के शोधकर्ता हैं. वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. मौलाना खालिद सैफुल्लाह अध्यक्ष बनने से पहले बोर्ड के महासचिव भी थे. मौलाना वली रहमानी के निधन के बाद अप्रैल 2021 में मौलाना राबे हसनी नदवी सदर बोर्ड ने उन्हें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कार्यकारी महासचिव बनाया था. इसके बाद नवंबर 2021 में ही कानपुर के जलसा-ए-आम में मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी को बोर्ड का स्थायी जनरल सेक्रेटरी बनाया गया.


कई मदरसों और संगठनों के संरक्षक
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी इस्लामिक फिक अकादमी ऑफ इंडिया के महासचिव, हैदराबाद डेक्कन में अल-महिद अल-अली-इस्लामी के संस्थापक हैं. इसके अलावा वह दारुल उलूम नदवा उलमा के त्रैमासिक बहस और दृष्टिकोण के संपादक और परिषद के सदस्य हैं. वह कई मदरसों और संगठनों के संरक्षक हैं.


मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की खास किताबें 
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने 50 से भी ज्यादा किताबें लिखी हैं. उनकी मशहूर किताबों में आसान तफसीर-ए-कुरान मजीद, फिक-ए-इस्लामी: तदवीन-ओ-तआरूफ, इस्लाम का निजाम उश्र ओ जकात, ख्वातीन के माली हुकूक: शरीयत-ए-इस्लामी की नजर में वगैरह के नाम शामिल हैं.


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