Collegium On Justice Muralidhar: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने ओडिशा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एस मुरलीधर की मद्रास हाईकोर्ट में ट्रांसफर की सिफारिश वापस ले ली है. इसके पहले केंद्र सरकार ने 6 महीने तक सिफारिश पर कोई फैसला नहीं लिया था. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 19 अप्रैल को ये सिफारिश वापस ली. आइए जानते हैं कौन हैं जस्टिस मुरलीधर.


सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 28 सितम्बर, 2022 को जस्टिस एस मुरलीधर के उड़ीसा हाई कोर्ट से मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में ट्रांसफर की सिफारिश की थी. 6 महीने तक जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर पर केंद्र सरकार ने कोई फैसला नहीं किया. इसी दौरान जस्टिस पंकज मिथल के राजस्थान ट्रांसफर को मंजूरी दी गई. इसके साथ ही कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अली मोहम्मद माग्ने को जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्ति को मंजूरी दी. जस्टिस मुरलीधर 7 अगस्त, 2023 को रिटायर हो रहे हैं. उनकी सेवा में करीब 4 महीने से भी कम का वक्त रह गया है. ऐसे में कॉलेजियम ने उनकी सिफारिश वापस लेने का फैसला लिया.


दिल्ली हाई कोर्ट में बने जज


लीगल न्यूज वेबसाइट बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस एस मुरलीधर ने साल 1984 में चेन्नई में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी. साल 2006 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में जज बनाया गया. 2009 में वह उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने नाज फाउंडेशन मामले में समलैंगिकता के पक्ष में टिप्पणी की थी. इसके अलावा हाशिमपुरा नरसंहार मामले में पीएसी के जवानों और सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराने वाली पीठ की अध्यक्षता भी की थी.


दिल्ली हाई कोर्ट से ट्रांसफर रहा चर्चा में


इसके पहले साल 6 मार्च, 2020 को उनके पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में जज के रूप में ट्रांसफर सुर्खियों में आया था. उन्होंने दिल्ली दंगों में भड़काऊ भाषण के लिए बीजेपी के शीर्ष नेताओं अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ पुलिस को कार्रवाई करने के आदेश दिया था. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रांसफर की कार्रवाई ऐसे समय में की थी जब वह दिल्ली दंगों के मामले में आपात सुनवाई कर रहे थे. 


उन्होंने हिंसा में भूमिका के लिए दिल्ली पुलिस की भी खिंचाई की थी. इसके अगले ही दिन केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने जस्टिस एस मुरलीधर को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में ट्रांसफर का आदेश दिया था. 4 जनवरी, 2021 को उन्हें उड़ीसा हाई कोर्ट का जज बनाया गया था.


ट्रांसफर पर सरकार ने दिया था बयान


जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले पर राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बयान दिया था. उन्होंने कहा था, सरकार सिर्फ तबादले का आदेश जारी करती है. कॉलेजियम द्वारा सिफारिशें की जाती हैं. इसलिए इसे किसी विशेष मामले से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. यह रूटीन ट्रांसफर था. न्यायाधीश की सहमति रिकॉर्ड पर है.


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