Maharashtra Congress Latest News: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस को महाराष्ट्र में फिर बड़ा झटका लगा है. मिलिंद देवड़ा और बाबा सिद्दकी के बाद अब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. वह पिछले कई दिनों से पार्टी से नाराज बताए जा रहे थे. उन्होंने नांदेड़ सीट की विधायकी से भी इस्तीफा दिया है. ऐसी चर्चा है कि वह बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. 


अशोक चव्हाण की ओर से कांग्रेस से दूरी बनाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह सियासी गलियारों में यह बताई गई कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व से नाना पटोले को हटाकर खुद को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात कही थी. हालांकि, कांग्रेस आलाकमान ने ऐसा नहीं किया. यही वजह रही कि उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर लिया. 


पिता Shankarrao Chavan से मिली राजनीतिक विरासत  


28 अक्टूबर 1958 को जन्मे अशोक चव्हाण को राजनीतिक विरासत उनके पिता शंकरराव चव्हाण से मिली थी. वह भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. अशोक चव्हाण 8 दिसंबर 2008 से 9 नवंबर 2010 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव के रूप में राजनीति में प्रवेश किया.


ऐसा रहा राजनीतिक सफर


अशोक चव्हाण के राजनीतिक सफर की बात करें तो वह विलासराव देशमुख सरकार में सांस्कृतिक मामलों, उद्योग, खान और प्रोटोकॉल मंत्री भी रहे. वह नांदेड़ जिले की भोकर सीट से 2019 में विधायक बने थे. 2 बार सांसद रहे, जबकि 4 बार विधायक रहे. 2015 से 2019 तक महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी निभाई. 1987 में पहली बार लोकसभा के सांसद चुने गए. 2014 में दूसरी बार सांसद चुने गए थे. इसके अलावा एक बार विधान परिषद के सदस्य भी रहे.






राहुल गांधी से थी नजदीकी


महाराष्ट्र के पूर्व सीएम को राहुल गांधी का नजदीकी माना जाता था. 2019 लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस हारी थी, तब उन्होंने कहा था कि कांग्रेस की हार एक सामूहिक जिम्मेदारी है. यह अकेले पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की नहीं है. अशोक चव्हाण की इसके अलावा विलासराव देशमुख से भी अच्छी ट्यूनिंग मानी जाती थी. उनके कार्यकाल में अशोक चव्हाण ने कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले थे.


महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा रुतबा


वैसे, अशोक चव्हाण महाराष्ट्र में कांग्रेस के बड़े नामों में माने जाते थे. उन्हें महाराष्ट्र में कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिना जाता था. अशोक चव्हाण के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्हें विलासराव देशमुख की जगह मुख्यमंत्री बनाया गया था, जो उस वक्त महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा नाम थे. इन्होंने महाराष्ट्र में पार्टी के लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी निभाई है. शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के साथ सीट शेयरिंग पर बात करने वाली टीम में भी यह शामिल थे. 


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