नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में बीजेपी के महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद सरकार गिर गई है. किसी पार्टी के पास बहुमत ना होने की वजह से राज्यपाल शासन लगना तय माना जा रहा है. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस दोनों ही पार्टियों ने पीडीपी को समर्थन देने से इनकार कर दिया है. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्यपाल शासन के अलावा अभी कोई विकल्प नहीं है लेकिन राज्य में जल्द से जल्द नए सिरे से चुनाव कराए जाने चाहिए. इस बीच बड़ा सवाल है कि जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा तो क्या होगा?


जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा तो क्या होगा?
राज्यपाल शासन लगने के बाद राज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार का सीधा कंट्रोल होगा. बीजेपी ने समर्थन वापसी का एलान करते वक्त कहा कि महबूबा सरकार आतंकियों पर कार्रवाई करने में असफल रही. अगर राष्ट्रपति शासन लगता है तो केंद्र आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर सकता है.


राज्यपाल शाशन लगने के बाद राज्यपाल दो एडवाइज़ बनाएंगे जो प्रशासन और पुलिस का काम देखेंगे. ये दोनों राज्यपाल को रिपोर्ट करेंगे. अभी तक मिली जानकारी के अनुसार गृहमंत्रालय में गृह सचिव राजीव गॉबा और एनएसए अजित डोभाल के एडवाइज़ के लिए कई नामों पर चर्चा हुई है लेकिन किसी का नाम फाइनल नहीं हुआ है.


बीजेपी ने समर्थन क्यों वापस लिया?
बीजेपी ने समर्थन वापसी का एलान करते हुए जो कारण गिनाए उनमें आतंकवाद में बढ़ोतरी, महबूबा सरकार हालात संभालने में नाकाम, कश्मीर के हालात पर समर्थन के लिए समर्थन वापस, मीडिया की अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरे को मुख्य कारण बताया है.


सरकार गिरने पर किसने क्या कहा?


शिवसेना का बड़ा हमला
बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना ने कहा है कि अपवित्र गठबंधन को लेकर हमने पहले ही कह दिया था कि यह ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा. यह एंटी नेशनल गठबंधन था. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे ख़बर मिली की जम्मू कश्मीर में बीजेपी सरकार से बाहर आ गई है। मैं इसका अभिनंदन करता हूं, लेकिन ये सरकार निकम्मी है ये जानने के लिए आपको तीन साल लग गए। इन तीन सालों में 600 जवान शहीद हुए, उनके बलिदान का क्या?

कांग्रेस बोली-अच्छा हुआ
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने मौजूदा सियासी हलचल पर कहा कि जो कुछ भी हुआ वह अच्छा है. जम्मू-कश्मीर के लोगों को राहत मिलेगी. बीजेपी ने कश्मीर को बर्बाद कर दिया और अब उन्होंने समर्थन वापस ले लिया है. बीजेपी-पीडीपी के तीन साल के शासन के दौरान सबसे अधिक सुरक्षाबलों और कश्मीरी नागरिकों की मौत हुई है.

यह एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है: ओवैसी
जम्मू कश्मीर में सरकार गिरने पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ''पीडीपी ने खुद अपने लिए यह राजनीतिक आपदा खड़ी की है. मुझे लगता है कि पीडीपी के लिए अभी कोई स्थान नहीं है, यह पीडीपी के लिए एक सबक है और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए भी. बीजेपी और पीडीपी दोनों इस बात से सहमत होंगे कि यह उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव का गठबंधन था. देश की जनता जनता जानना चाहती है इस उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव की बैठक का क्या हुआ? आशा है कि कश्मीर की जनता शांति से काम लेगी, यह एक दुर्भाग्य पूर्ण फैसला है. बीजेपी सरकार देने के वादे से भाग नहीं सकती. बीजेपी इसके लिए बराबर की जिम्मेदार है.''