दिल्ली कांग्रेस में पूर्व विदेश मंत्री और दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई लीगल सेल का सह-संयोजक नियुक्त किया गया है. हालांकि वह पहले से पार्टी के साथ जुड़ी हुई हैं और उन्हें किसी पद पर पहली बार नियुक्त किया गया है. 


शुक्रवार को जारी एक पत्र में बीजेपी की दिल्ली इकाई के प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि बांसुरी की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी और हम उम्मीद करते है कि इस पद को उनका संभालना बीजेपी को और मजबूत करेगा. 


वहीं बांसुरी स्वराज का कहना है कि वह पहले भी पार्टी की मदद कई कानूनी मामलों में करती रही हैं. इस पद की नियुक्ति पर उन्होंने कहा कि "फर्क बस इतना है कि मुझे औपचारिक रूप से दिल्ली बीजेपी के कानूनी विभाग की सह-संयोजक के रूप में अधिक सक्रिय रूप से पार्टी की सेवा करने का अवसर दिया गया है."




पीएम समेत बीजेपी के शीर्ष नेताओं को कहा धन्यवाद


अपनी नियुक्ति के बाद बांसुरी स्वराज ने ट्वीट करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के शीर्ष नेताओं को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, “बीजेपी दिल्ली प्रदेश के विधि प्रकोष्ठ का प्रदेश सह-संयोजक के रूप में पार्टी की सेवा करने का अवसर प्रदान करने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, बी एल संतोष, वीरेंद्र सचदेवा और बीजेपी की अत्यंत आभारी हूं.”


अब जानते हैं सुषमा स्वराज की इकलौती बेटी बांसुरी स्वराज के बारे में


दिवंगत नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का विवाह 13 जुलाई 1973 को स्वराज कौशल के साथ हुआ, स्वराज कौशल सुप्रीम कोर्ट में उनके सहकर्मी और साथी अधिवक्ता थे, सुषमा की एक बेटी है जिसका नाम है बांसुरी स्वराज.


ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की है ग्रेजुएशन की पढ़ाई


बांसुरी स्वराज स्व सुषमा स्वराज की इकलौती बेटी हैं, उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से की पढ़ाई और इसके बाद इनर टेम्पल से कानून में बैरिस्टर की डिग्री ली. डिग्री लेने के बाद बांसुरी ने अपने पिता की तरह दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस भी किया है. 


भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के एक बयान के अनुसार, बांसुरी स्वराज ने साल 2007 में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में पंजीकरण कराया था और कानूनी पेशे में 16 साल का अनुभव है. 


बांसुरी स्वराज कोर्ट ने राजनीति से हटकर भी अपनी एक पहचान बनाई है. जिसमें उन्हें मजबूती से अपने मुवक्किल का पक्ष रखने वाली वकील माना जाता है, जिन्होंने कई विवादास्पद मुकदमों में हाई प्रोफाइल लोगों की तरफ से भी मुकदमा लड़ा है. 


हाई प्रोफाइल केस के अलावा बांसुरी ने रियल एस्टेट, टैक्स, अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के मामले और कई आपराधिक केस से जुड़े विवादों को निपटाने वाले कोर्ट केस का अदालत में प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. निजी प्रैक्टिस करने वाली बांसुरी हरियाणा की अतिरिक्त महाधिवक्ता रह चुकी हैं.




विवादों में भी आ चुका है नाम 


बांसुरी स्वराज इस पद पर नियुक्त होने से पहले भी एक बार चर्चा में आ चुकी हैं. दरअसल सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की लीगल टीम में शामिल थीं, इस बात का खुलासा तब हुआ जब ललित मोदी ने आठ लोगों को ट्वीट करके बधाई दी थी, उनमें बांसुरी भी का नाम भी था. हालांकि अपनी बेटी का नाम से नाराज सुषमा स्वराज ने ट्वीट करते हुए सबकी क्लास लगाई थी और कहा था बांसुरी एक वकील है और उसने अपना केस लड़ा, इसके अलावा वो किसी को नहीं जानती. 


कौन हैं बांसुरी स्वराज के पिता


सुषमा स्वराज के पति और बांसुरी स्वराज के पिता स्वराज कौशल एक क्राइम वकील हैं. वह 34 साल की उम्र में भारत के सबसे युवा एडवोकेट जनरल थे और साल 1990 से 1993 तक मिजोरम के गवर्नर थे. वर्तमान में बांसुरी स्वराज भारत के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, और साल 1998 से 2004 तक संसद सदस्य भी रह चुके हैं. 


2019 में हुआ था सुषमा का निधन, बेटी बांसुरी ने ऐसे किया था याद


सुषमा स्वराज का निधन साल 2019 में हुआ था. उस दिन ना सिर्फ बांसुरी ने अपनी मां को खोया या बल्कि देश ने भी एक ताकतवर महिला नेता को खो दिया था. बांसुरी ने अपनी मां की शख्सियत का खाका कुछ इन शब्दों में बुना, "संसद की तेज-तर्रार तकरार के बाद सेंट्रल हॉल में बटर टोस्ट, काफी और गपशप के बीच अपने राजनीतिक विरोधियों को मोहकर मित्रों में तब्दील करने वाली मेरी मां थी."


बांसुरी आगे कहती हैं, ' सुषमा स्वराज व्यक्तिगत रुप से वो बेहद सरल और सुलझी हुई शख्सियत थीं. उन्होंने कहा कि उनके लिए वो प्रेम, सीख और समझदारी का भंडार थीं. सुषमा स्वराज दुनिया में उनकी सबसे अच्छी दोस्त थीं.


उन्होंने कहा कि जीवन के भीषण से भीषण संग्राम में भी मेरी मां संयमित थी. मां मेरे लिए दुनिया की सबसे सुलझी हुई महिला थी. प्रेम सीख और समझदारी से भरी मेरी मां. दुनिया में मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी. 


उन्होंने आगे कहा कि आप सभी ने उनके 42 साल के राजनीतिक करियर में उन्हें बेहद सम्मान दिया और उसके लिए मैं जिंदगी भर आपलोगों की आभारी हूं. मेरे परिवार के संकट की घड़ी में भी हमारे साथ खड़े रहने के लिए शुक्रिया. बांसुरी ने भारतीय जनता पार्टी को भी धन्यवाद करते हुए कहा था कि इस पार्टी ने मेरी मां को पहचा दिलाया था और मैं इसके लिए बीजेपी की शुक्रगुजार हूं. बांसुरी स्वराज का पूरा भाषण सुनने के लिए यहां क्लिक करें...



 



मां सुषमा के नाम थे कई कीर्तिमान 


बांसुरी स्वराज की मां और बीजेपी की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज का साल 2019 में निधन साल हो गया था. सुषमा स्वराज ने 25 साल की उम्र में चौधरी देवीलाल के हरियाणा सरकार में मंत्री बनने से लेकर भारत की विदेश मंत्री बनने तक, कई राजनीतिक किले फतह किए.


वह न सिर्फ बीजेपी के कद्दावर नेता रही हैं, बल्कि उनके भाषणों ने कई बार लोगों का दिल जीता है. संसद के बाहर हो या अंदर सुषमा के भाषण ने हमेशा लोगों को आकर्षित करते थे. सुषमा को उनके हाज़िरजवाबी के लिए भी जाना जाता रहा है.  


कुछ लोगों का मानना है कि सुषमा स्वराज बीजेपी के अंदर अटल बिहारी वाजपेयी के बाद सबसे बेहतरीन वक्ता रही हैं. इसके अलावा उन्हें इंदिरा गांधी के बाद देश की सबसे सफल महिला राजनेता के रूप में भी माना जाता है.


कैसा रहा उनका राजनीतिक करियर


सुषमा स्वराज ने अपने कार्यकाल में कई उपलब्धियां हासिल की है लेकिन बावजूद इसके उनका राजनीतिक करियर विवादों और भ्रष्टाचार के आरोपों से भरा रहा है.


ललित मोदी विवाद: आईपीएल की शुरुआत करने वाले ललित मोदी पर वित्तीय अनियमितता का आरोप था और प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रही थी.  इस बीच विदेश मंत्रालय ने ललित मोदी को पुर्तगाल जाने की इजाज़त दी थी. ललित मोदी को विदेश जाने की इजाजत देने का सीधा आरोप देश के विदेश मंत्री होने के नाते सुषमा स्वराज पर लगा. हालांकि सुषमा इस आरोप पर सफाई देते हुए कहते हैं कि उन्होंने ऐसा 'मानवीय आधार' पर किया गया था क्योंकि ललित मोदी काफी बीमार थे.


पासपोर्ट विवाद: सुषमा स्वराज को लखनऊ के एक दंपति को पासपोर्ट देने के कारण कारण सोशल मीडिया के ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा था. दरअसल मामला लखनऊ का था, जहां अंतर्धार्मिक विवाह के बाद अधिकारी ने आवेदनकर्ता को पासपोर्ट देने के लिए अपना धर्म बदलकर एक करने की शर्त रखी थी. जब सुषमा स्वराज तक यह मामला पहुंचा तो उन्होंने तुरंत संज्ञान लेते हुए पासपोर्ट अधिकारी का तबादला कर दिया. 


बेल्लारी बंधुओं से करीबी: सुषमा स्वराज पर कर्नाटक के बेल्लारी बंधुओं का करीबी होने का भी आरोप लगता रहा है. दरअसल इस आरोप की कहानी साल 1999 से शुरू होती है. उस वक्त कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी कर्नाटक के बेल्लारी से लोकसभा चुनाव लड़ रहीं थी. भारतीय जनता पार्टी ने सोनिया के खिलाफ सुषमा स्वराज को उतारने का फैसला लिया.


उस वक्त बेल्लारी बंधू बिजनेस में तेजी से उभर रहे थे इसी दौरान वे सुषमा स्वराज के करीब आए. कुछ सालों बाद जब येदियुरप्पा के नेतृत्व में कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनीं तो जनार्धन रेड्डी को मंत्री बनाया गया और रेड्डी बंधुओं यानी बेल्लारी बंधुओं का व्यापार भी तेजी से बढ़ने लगा.


कहा जाता रहा कि सुषमा स्वराज के करीबी होने के कारण बेल्लारी बंधुओं को खनन के क्षेत्र में बड़े से बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मिलता रहा और उनकी तरक्की होती रही. यहां तक की साल 2011 में जब सीबीआई ने अवैध खनन के मामले में रेड्डी बंधुओं की गिरफ्तारी की तब सुषमा स्वराज का नाम एक बार फिर उछला था. 


सोनिया गांधी को दिए बयान:  बात 2004 की है. वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी 2004 का लोकसभा चुनाव हार चुकी थी और ये तय था कि कांग्रेस के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनने जा रही है. ऐसी अटकलें लगाई जा रहीं थीं कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बन सकती हैं. उस वक्त सुषमा स्वराज ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के होने का मुद्दा उठाते हुए बयान दिया था कि अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनती हैं तो इसके विरोध में वो अपना सिर मुंडवा लेंगी और वैराग्य जीवन व्यतीत करेंगी.


भगवत गीता को लेकर विवाद: सुषमा स्वराज ने भगवद्गीता को 'राष्ट्रीय ग्रंथ' के रूप में मान्यता दिए जाने की मांग की. उस वक़्त वह भी वो टीएमसी और कांग्रेस के निशाने पर आ गयी थी. दरअसल सुषमा स्वराज ने कहा था, 'भगवत गीता को 'राष्ट्रीय ग्रंथ' का दर्जा उसी वक्त मिल गया था जब पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भगवद्गीता उपहार में भेंट किया था. सुषमा के इस बयान के लिए उनकी काफ़ी आलोचना हुई थी.