'वर्चुअली किसी से बात करना और सामने से मुलाकात करने में बहुत फर्क होता है. मेरे मन में उससे मिलने से पहले कई सवाल आ रहे थे. क्या हुआ वो कोई फ्रॉड निकली तो, या अपनी तस्वीर जैसी नहीं निकली. मुझे बंबल पर चैट करने के दौरान भी कई बार शक होता था कि ये फेक आईडी तो नहीं है. हालांकि हमारी मिटिंग बहुत अच्छी रही. वो सामने से अपनी तस्वीर से भी ज्यादा अट्रैक्टिव लग रही थी. हम कॉफी शॉप में मिले. मेरे सामने बैठी उस लड़की की आंखें इतनी खूबसूरत थी की मेरी नजर बार-बार उसकी आंखों में लगे काजल पर ही जा रही थी.' नोएडा में रहने वाले 27 साल के अक्षित ने एबीपी से बातचीत के दौरान अपने ऑनलाइन डेटिंग के अनुभव को साझा किया. 


अक्षित ने कहा कि ज्यादातर युवा डेटिंग ऐप के जरिए अपना पार्टनर ढूंढना पसंद करते हैं क्योंकि इस ऐप के जरिए आपको बहुत सारे लोगों को जानने का मौका मिलता है. ऐसे में सही जीवनसाथी मिलना आसान हो जाता है. श्रद्धा मर्डर केस पर अक्षित ने कहा कि ऐसे मामले सुनकर या देखतकर डर तो लगता है. मुझे लगता है कि हमें कभी भी किसी अनजान से मिलने से पहले उसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी ले लेनी चाहिए. इसके अलावा सेफ्टी का ख्याल रखते हुए अपने दोस्तों को बता सकते हैं कि किससे मिलने जा रहे हैं. 


3 करोड़ से भी ज्यादा लोग डेटिंग ऐप इस्तेमाल करते हैं


भारत में इस वक्त 3 करोड़ से भी ज्यादा लोग डेटिंग ऐप इस्तेमाल करते हैं और साल 2024 तक ये आंकड़ा 5 करोड़ पार करने की संभावना है. पिछले 2 सालों में भारत में डेटिंग ऐप का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है. कोविड संक्रमण के बाद से कई काम ऑनलाइन होने लगे इस बीच लॉकडाउन की वजह से लोग अपना अकेलापन मिटाने के लिए डेटिंग ऐप्स का सहारा लेने लगे और धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया अपने पार्टनर को तलाशने का सबसे आसान जरिया बनता चला गया.


लेकिन ऑनलाइन ऐप्स के इस्तेमाल से अपना पार्टनर ढ़ूढ़ना जितना आसान है उतना ही रिस्की भी है. कई बार लोग किसी अनहोनी का शिकार हो जाते हैं. ठीक वैसे ही जैसे श्रद्धा हुई. श्रद्धा को भी कहां पता था कि जिसे वो सबसे ज्यादा प्यार करती है. वही उसके मौत का कारण बन जाएगा. दरअसल श्रद्धा मर्डर केस के मामले ने ऑनलाइन डेटिंग को चर्चा में ला दिया है. आफताब और श्रद्धा की मुलाकात साल 2019 में बंबल पर हुई थी. चौंकाने वाली बात ये है कि आफताब ने श्रद्धा को मारने के बाद फिर से डेटिंग ऐप पर अपनी प्रोफाइल बनाई थी और ना सिर्फ कई महिलाओं से बात की बल्कि और उन्हें उसे अपने घर भी लेकर गया.


ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हमारी पीढ़ी क्यों डेटिंग ऐप के तरफ आकर्षित हो रही है और आखिर क्यों डेटिंग ऐप पर मिलने वाले लोगों पर हम इतना भरोसा कर लेते हैं.


बढ़ रहा है डेटिंग ऐप का ट्रेंड




statisa.com की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में इस वक्त डेटिंग ऐप्स पर लगभग 31 मिलियन भारतीय यूजर हैं और उनमें से 67 प्रतिशत केवल पुरुष हैं. दुनियाभर के अन्य देशों की तुलना में भारत डेटिंग ऐप्स के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी के बाद से टियर 2 शहरों से डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल बढ़ा है.


यह पहली बार नहीं है जब ऑनलाइन डेटिंग ऐप को टारगेट किया गया है. इस साल की शुरुआत में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर डॉक्यूमेंट्री रिलीज हुई थी टिंडर स्विंडलर, जिसमें दिखाया गया था कि कैसे टिंगर जैसे डेटिंग ऐप पर क्राईम बढ़ रहे हैं. डॉक्यूमेंट्री इजराइली कॉनमैन साइमन लेविएव पर आधारित था, जो टिंडर पर लड़कियों के साथ रिश्ते बनाता और उससे पैसे की ठगी करता था. 


इसके अलावा 11 जुलाई 2021 को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़े गैंग का पर्दाफाश किया जो टिंडर डेटिंग एप के माध्यम से लोगों को ब्लैकमेल करता था. यह गैंग लड़कियों की आईडी बनाकर ना सिर्फ अमीर लड़कों को अपने जाल में फंसाता था बल्कि बाद में इस गैंग की लड़कियां उनको ब्लैकमेल भी करती थी. राजधानी दिल्ली का भी ऐसा एक और मामला सामने आया था जिसमें गुरुग्राम का एक पूरा गैंग शामिल था. इस गैंग ने डेटिंग ऐप के जरिए एक करोड़ रुपये की धन उगाही कर ली थी. 


क्या कहते हैं इसे इस्तेमाल करने वाले युवा 


20 साल की शिफाली का डेटिंग ऐप को लेकर अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा है. उन्होंने बताया कि टिंडर ऐप के जरिए उसकी बातचीत एक लड़के से बढ़ी. अपने इंट्रोवर्ट स्वभाव के कारण वह ज्यादातर ऑनलाइन ही दोस्त बनाती रही है. हालांकि टिंडर ऐप पर बने दोस्त के साथ शुरुआत में तो सब ठीक था लेकिन धीरे धीरे वह उससे पैसे मांगने लगा. उसने एक महीने में मुझसे कई बार पैसे उधार लिए और वापस मांगने पर हर जगह से ब्लॉक कर गायब हो गया. शिफाली ने श्रद्धा मर्डर केस पर कहा कि कई बार हम प्यार में आकर अपने पार्टनर की गलतियों को नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन ऐसा करने से बचना चाहिए.




हालांकि 35 साल की रिया (बदला हुआ नाम) का अनुभव इन दोनों से ही बिल्कुल अलग है. उन्होंने बताया, “मैं अपने पति से बंबल के जरिए ही मिली थी. इस ऐप को मैंने अपने ब्रेकअप के बाद दोस्तों के दबाव में डाउनलोड किया था. शुरुआत में तो मुझे ये ऐप बहुत उबाऊ लगा. लेकिन काफी स्वाइप करने के बाद मेरी एक लड़के से बातचीत हुई. मुझे पता चला कि हमारे बीच बहुत सी चीजें समान थीं. हमने अपनी पहली डेट फिक्स की और हम दोनों दिल्ली के एक कैफे में मिले. मैं दिल्ली की हूं लेकिन वह कोलकाता का रहने वाला था और काम के सिलसिले में कोलकाता से यहां आया था. उसके बाद, हम कई बार मिले. मैंने उसे अपनी मां से भी मिलवाया और वह उसके साथ काफी अच्छी तरह से घुलमिल गई. हालांकि, उनके माता-पिता को जब बता चला की हम डेटिंग ऐप के माध्यम से मिले हैं तो उन्हें अपने बेटे के सुरक्षा को लेकर चिंतित हुई लेकिन वे भी इससे बाहर आ गए. हमारी कहानी का अंत परिकथा जैसा था और यह एक सुखद सरप्राइज था जो एक रैंडम ऐप ने हमें दिया.”


हालांकि उन्होंने श्रद्धा मर्डर केस पर बात करते हुए कहा कि ऑनलाइन डेटिंग हो या ऑफलाइन अगर आपका पार्टनर रिश्ते में आपकी इज्जत नहीं करता तो उस रिश्ते से निकल जाने में ही भलाई और सेफ्टी दोनों है. 


अकेलेपन को खत्म करने के लिए ले रहे हैं इन ऐप का सहारा 




मनोवैज्ञानिक डॉ राजेश शर्मा ने डेटिंग ऐप्स पर बढ़ रहे क्राइम के बारे में एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि श्रद्धा मर्डर केस जैसी घटनाएं ऑनलाइन डेटिंग ऐप के यूजर्स के बीच भय और अविश्वास को बढ़ाने का काम तो कर रही है, लेकिन हमें डेटिंग एप से ज्यादा किसी भी रिलेशन में पार्टनर के बर्ताव पर ध्यान देने की जरूरत है. किसी भी रिश्ते में मारपीट या शोषण जैसे रेड फ्लैग को नजरअंदाज करना रिश्ते में रह रहे दूसरे पार्टनर के लिए अच्छा नहीं है. 


वहीं टिंडर और बंबल जैसे डेटिंग ऐप लॉकडाउन में खूब हिट हुए. ऐसे ऐप अपने खुद के किए हुए सर्वे में इस बात को स्वीकारते हैं कि ज्यादातर लोग अकेलेपन की वजह से यहां अपनी आईडी बनाते हैं और एक पार्टनर की तलाश करते हैं. ऐसे डेटिंग ऐप पर कई बार झूठी जानकारियां भी होती हैं. वर्चुअल दुनिया में लोग वो बनने की कोशिश करते हैं जो वो असल में नहीं है. कुछ प्रोफाइल में गलत जानकारी भी डाली जाती है. जो आगे जाकर लोगों को बड़ी मुसीबत में डाल देती हैं.