पिछले कुछ दिनों से असम का एक नया संग्रहालय 'मियांं म्यूजियम' काफी चर्चे में है. इस म्यूजियम के उद्घाटन के दो दिन भी नहीं बीते कि इसे सील कर दिया गया है. इसके अलावा असम पुलिस  ने राज्य के गोलपारा जिले में विवादास्पद ‘मियांं संग्रहालय’ स्थापित करने पर कड़े यूएपीए कानून के तहत पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया है. खुद असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने इस संग्रहालय के फंडिंग को लेकर सवाल उठाए हैं. 


मियांं म्यूजियम की कहानी


इस म्यूजियम की शुरुआत रविवार यानी 23 अक्टूबर 2022 को असम के गोलपारा में की गई. दरअसल इस क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने मिलकर एक मियांं म्यूजियम की शुरुआत की. इस संग्रहालय में मियांं समुदाय से जुड़ी कुछ चीजों को संरक्षित करके रखा गया है. इस म्यूजियम में मियांं समुदाय से जुड़ी ऐसी चीजें रखी जाती जो अब चलन में नहीं है. जैसे लुंगी, हल और मछली पकड़ने के उपकरण.


हालांकि बीजेपी नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और उद्घाटन के दो दिन बाद ही सरकार ने एक्शन लेते हुए म्यूजियम पर सील लगा दी और इससे जुड़े लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. 


कहां से आया इसका कॉन्सेप्ट 


असम के अलग-अलग इलाकों में बंगाली मुस्लिम समुदाय के लगभग 25 लाख लोग रहते हैं. यहां मियांं शब्द का इस्तेमाल भी बांग्लादेश से आए इन्हीं मुसलमानों के लिए किया जाता है. इस समुदाय के लोगों की एक संस्था है 'अखिल असम मियांं परिषद' जो इनसे जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन करती है. इस परिषद में राज्य के तमाम लेखक, कवि, लोक कलाकार, फिल्मकार आदि सदस्य हैं.


जब इस राज्य में गैर बीजेपी सरकार थी तब 'अखिल असम मियांं परिषद' को संस्कृति विभाग से सरकारी फंड भी मिलता था. लेकिन बीजेपी सरकार आने के बाद फंड को रोक दिया गया. यही संस्था राज्य के कई जगहों पर मियांं म्यूजियम खोल रही है. 


कब आया था आया था प्रस्ताव 


इस संग्रहालय को बनाने का जिक्र सबसे पहले साल 2020 में किया गया था. उस वक्त कांग्रेस विधायक शेरमान अली अहमद ने एक पत्र लिखकर गुवाहाटी में श्रीमंत शंकरादेवा कलाक्षेत्र में म्यूजियम बनाने की मांग की थी.  कांग्रेस विधायक शेरमान अली अहमद ने द हिंदू से हुए बातचीत में कहा था, ' ‘क्योंकि चार चपोरी इलाके में रहने वाले लोगों को मियांं कहकर संबोधित किया जाता है, इसलिए मैंने राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया कि ऐसा म्यूजियम बनाया जाए जो मियांं लोगों की संस्कृति और विरासत को उभारकर दिखाए.’


उस वक्त उनके इस म्यूजियम के प्रस्ताव को 16 सदस्यीय सरकारी पैनल से मंजूरी मिल गई थी. 16 सदस्यीय इस पैनल में 6 विधायक बीजेपी के भी शामिल थे. लेकिन, असम के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. इस प्रस्ताव को खारिज करने के पीछे उन्होंने तर्क दिया कि चार चापोरी के लोगों की अलग से कोई कला और संस्कृति नहीं है.


अब क्या हुआ?


इस म्यूजियम का उद्घाटन 23 अक्टूबर 2022 को किया गया था. उद्घाटन के तुरंत बाद ही बीजेपी के कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया और ये कहकर बंद करने की मांग की यह म्यूजियम प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित घर में बनाया गया है. 


बीजेपी नेताओं ने पुलिस में भी इसकी शिकायत की. दो दिन तक हुए विरोध के बाद मंगलवार, 25 अक्टूबर को असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने म्यूजियम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मियांं समुदाय के कुछ सदस्यों की ऐसी गतिविधियां असमियां पहचान के लिए खतरा पैदा करती हैं. 


सीएम के मुताबिक संग्रहालय में रखा गया हल, जिसे ये समुदाय अपनी पहचान बता रहा है उसे तो पूरे देश के किसान इस्तेमाल करते हैं. संग्रहालय में लुंगी के अलावा कुछ भी उनका नहीं है.


सीएम के इस बयान के कुछ घंटे बाद संग्रहालय के फाउंडर एम मोहर अली समेत 3 लोगों की गिरफ्तारी की गई. असम पुलिस ने मियांं म्यूजियम के आतंकी संगठन अलकायदा से कनेक्शन होने का भी दावा किया है. वर्तमान में मामले की जांच चल रही है. 


पुलिस ने कहा कि मियांं परिषद के अध्यक्ष एम मोहर अली को गोलपाड़ा जिले के दपकाभिता में संग्रहालय से उस समय पकड़ा गया जब वह धरने पर बैठा था, जबकि इसके महासचिव अब्दुल बातेन शेख को मंगलवार रात धुबरी जिले के आलमगंज स्थित उसके आवास से हिरासत में लिया गया था.


उन्होंने बताया कि रविवार को संग्रहालय का उद्घाटन करने वाले अहोम रॉयल सोसाइटी के सदस्य तनु धादुमियां को डिब्रूगढ़ के कावामारी गांव में उसके आवास से हिरासत में लिया गया. वह पहले आम आदमी पार्टी में था.


इन आतंकी संगठनों के साथ संबंध के आरोप


पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन तीनों को 'अलकायदा इन इंडियन सबकांटिनेंट' (एक्यूआईएस) और 'अंसारुल बांग्ला टीम' (एबीटी) संगठनों के साथ संबंध के आरोप में जांच और पूछताछ के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत घोगरापार थाने में दर्ज एक मामले के संबंध में नलबाड़ी ले जाया गया. नलबाड़ी जिले के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि हाल में गिरफ्तार कुछ चरमपंथियों से पूछताछ के बाद इन तीनों का नाम सामने आया था.


अन्य समूहों ने म्यूजियम के सील होने पर क्या कहा?


संग्रहालय के सील करने पर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के विधायक और महासचिव अमीनुल इस्लाम ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी ‘मियांं संग्रहालय’ खोलने के खिलाफ है, लेकिन इसकी स्थापना के कारणों पर गौर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि समुदाय के लोग सालों से अपमानित महसूस कर रहे हैं और यह उनकी हताशा से उपजी प्रतिक्रिया है. 


वहीं बारपेटा के सांसद खालेक ने कहा कि म्यूजियम की स्थापना के लिए किसी को गिरफ्तार करना और उस व्यक्ति पर आतंकी कानूनों के तहत मामला दर्ज करना अन्याय है. उन्होंने कहा, हालांकि समुदाय को भी हल जैसी वस्तुओं पर दावेदारी करने को लेकर सचेत रहना चाहिए क्योंकि पूरे उपमहाद्वीप के सभी किसान हल का इस्तेमाल कर रहे हैं. 


प्रख्यात अधिवक्ता नेकिबुर जमान म्यूजियम विवाद पर कहा कि इसकी स्थापना असमियां समाज में विभाजन पैदा करने के लिए समुदाय के एक वर्ग द्वारा की गई एक साजिश है. उनका दावा है कि यह कुछ ताकतों के निहित स्वार्थ की वजह से है, जो असमी संस्कृति और पहचान को खतरे में डालना चाहते हैं. 


वहीं अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्य अब्दुर रहीम जिब्रान ने पीएमएवाई के तहत आवंटित घर में म्यूजियम बनाने के खिलाफ लखीपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. 


ये भी पढ़ें:


जुलू के राजा का सिंहासन विवादों में फंसा, भारतवंशी कारपेंटर ने ऑर्डर रोका