Prevention of Money Laundering Act: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (Prevention of Money Laundering Act) के फैसले को चुनौती देने वाली कार्ति चिदंबरम (Karthi Chidambaram) की याचिका पर सुनवाई होनी है. गौरतलब है कि ये सुनवाई खुली अदालत (Open Court) में होगी. बुधवार को कोर्ट ने इस मामले में खुली अदालत में सुनवाई और मौखिक दलीलें रखने की इजाजत मांगने वाली अर्जी को मंजूर कर लिया था. अब गुरुवार यानी आज इस पर सुनवाई होनी है. चलिए यहां जानते हैं कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट आखिर है क्या?


मनी लॉन्ड्रिंग क्या होती है?


सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि आखिर से मनी लॉन्ड्रिंग होता क्या है? तो बता दें कि गैर-कानूनी तरीकों से कमाई गई ब्लैक मनी को कानूनी तरीके से कमाए गए धन के रूप में बदलना यानी व्हाइट मनी बनाने को मनी लॉन्ड्रिंग कहा जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से कमाए गए पैसे को छिपाने का एक तरीका है. वहीं गैर-कानूनी धन की हेरा-फेरी करने वालों को लाउन्डर कहा जाता है. इस हेराफेरी के लिए लाउन्डर द्वारा कई तरीके अपनाए जाते हैं. गैरकानूनी धन की इसी हेराफेरी को रोकने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट बनाया गया है.


प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट क्या है?


गौरतलब है कि मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और इसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून बनाया गया है. इसके तहत सरकार या सार्वजनिक प्राधिकरण को गैरकानूनी तरीके से कमाए गए धन और संपत्ति को जब्त करने का अधिकार दिया गया है. साल 2002 में धन शोधन निवारण अधिनियम या प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) को पारित किया गया था. उसके बाद 1 जुलाई 2005 में इस अधिनियम को लागू कर दिया गया. इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग पर पूरी तरह रोक लगाना है. इसके अलावा इस एक्ट का अन्य उद्देश्य आर्थिक अपराधों में काले धन के इस्तेमाल को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे मिली संपत्ति को जब्त करना और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दूसरे अपराधों पर अंकुश लगाना है.


और किन पर PMLA के तहत हो सकती है कार्रवाई


गौरतलब है कि गैरकानूनी हथियारों की सप्लाई, नशीले पदार्थों की तस्करी और जिस्मफरोशी में शामिल लोग जो इनके जरिए कमाई करते हैं उन्हें भी मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सकता है. बता दें कि 2012 में किए गए संशोधन के मुताबिक सभी फाइनेंशियल संस्थाओं, बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियो और उनके वित्तिय मध्यस्थो पर भी पीएमएलए लागू होता है. 2019 में भी इस कानून में कुछ संशोधन के रूप में बदलाव किए गए थे. इसके मुताबिक ईडी द्वारा उन लोगों या संस्थाओं पर भी कार्रवाई की जा सकती है जिनका अपराध पीएमएलए के तहत न हो.


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