देश में कोरोना का संकट अभी खत्म भी नहीं हुआ कि ब्लैक फंगस के लगातार आ रहे मामलों ने चिंता बढ़ाकर रख दी है. महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस के अब तक करीब 1500 मरीज सामने आ चुके हैं और उनमें से 90 की मौत हो चुकी है. राजस्थान, गुजरात और पंजाब समेत पांच राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दी है, तो वहीं दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने इस पर उच्च स्तरीय बैठक कर इससे निपटने की तैयारी शुरू कर दी है. केन्द्र सरकार ने ब्लैक फंगस को नोटिफाइड बीमारी करार दिया है.


क्या है ब्लैक फंगस?


दिल्ली स्थित एम्स के न्यूरोलॉजी प्रमुख डॉक्टर पद्मा ने बताया कि यह फंगल इन्फैक्शन कोई नई बीमारी नहीं है. उन्होंने कहा कि जिनकी इम्युनिटी बहुत कम है या जो ट्रांसप्लांट के मरीज हैं, उनमें यह फंगल इन्फैक्शन पाया जाता है. उन्होंने कहा कि इतनी संख्या में फंगल इन्फैक्शन पहले कभी नहीं देखा गया था, जितना कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अभी देखा गया है.


डॉक्टर पद्मा ने कहा कि फंगल इन्फैक्शन से खतरा है और अगर इलाज नहीं मिला तो 80 फीसदी मामलों में मौत की संभावना है. उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस छूत की बीमारी नहीं है. यह कोरोना की तरह नहीं एक दूसरे को फैलता है.


ब्लैक फंगस की क्या है पहचान?


डॉक्टर पद्मा ब्लैक फंगस के बारे में बताती है कि अगर कोई डायबिटीक है तो वे अपने शुगर को नियंत्रित रखें. सेल्फ मेडिटेशन करते हुए स्टेरॉयड ना लें. इसके साथ ही, जो मास्क इस्तेमाल करते हैं उसे साफ सुथरा रखे. अगर मास्क गीला है तो उसे साफ कर ही पहनें.


उन्होंने कहा कि कोविड-19 होने के बाद अगर नाक अगर बंद हुआ या चेहरे लाल हो गए या आंखें लाल हो रही है तो फौरन डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. उसके बाद डॉक्टर यह तय करेंगे कि यह ब्लैक फंगस है या कुछ और है.


डॉक्टर पद्मा ने बताया कि जो थोड़े दिन भी स्टोरॉयड लिया उसमें भी ब्लैक फंगस के मामले आए हैं. इसके साथ ही, डायबिटीक मरीजों में भी ब्लैक फंगस के मामले देखने को मिले हैं.


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