Carbon Dating Of Shivling: वाराणसी जिला अदालत (Varanasi Court) शुक्रवार (14 अक्टूबर) को 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका पर फैसला सुनाएगी. इसे लेकर दावा किया गया है कि शिवलिंग ज्ञानवासी मस्जिद परिसर में पाया गया है. याचिका में विचाराधीन वस्तु की आयु स्थापित करने के लिए कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) का उपयोग करने की मांग की गई है. 


अयोध्या केस में SC ने किया था कार्बन डेटिंग का जिक्र


ये भी जान लीजिए की अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में भी कार्बन डेंटिंग करवाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट कोर्ट में रामलला विराजमान की तरफ से कहा गया था कि मूर्ति को छोड़ दूसरी सभी वस्तुओं की कार्बन डेटिंग हुई थी. इस पर जस्टिस बोबड़े ने मूर्ति की कार्बन डेटिंग पर सवाल किया था और तब मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि ईंटों की कार्बन डेटिंग नहीं हो सकती है. कार्बन डेटिंग तभी होती है जब उसमें कार्बन की मात्रा हो. चलिए अब हम आपको यह बताते हैं कि कार्बन डेटिंग क्या होती है और इसके पीछे का विज्ञान क्या कहता है?


कार्बन डेटिंग क्या है?


इंसानों की उम्र उसके जन्म वर्ष के आधार पर पता लगाई जा सकती है, लेकिन किसी वस्तु या पौधों, मृत जानवरों, या जीवाश्म अवशेषों के लिए उम्र को स्थापित करना काफी जटिल हो जाता है. यहीं पर काम आती है कार्बन डेटिंग. कार्बन डेटिंग सदियों से मौजूद वस्तुओं के इतिहास या विभिन्न प्रजातियों के विकास की प्रक्रिया को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.


कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया?


यह एक ऐसी प्रक्रिया जो वस्तु में मौजूद 'कार्बन-14' की मात्रा का अनुमान लगाकर कार्बन-आधारित सामग्री की आयु बता सकती है. हालांकि, कार्बन डेटिंग के लिए एक शर्त यह है कि इसे केवल उस पदार्थ पर लागू किया जा सकता है जो कभी जीवित था या वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) लेता रहा हो.


कार्बन डेटिंग दुनिया भर में पुरातत्वविदों और जीवाश्म वैज्ञानियों के लिए काफी मददगार साबित हुई है. यहां हम आपको बता दें कि इसका उपयोग चट्टानों की आयु को स्थापित करने के लिए नहीं किया जाता है, क्योंकि कार्बन डेटिंग केवल उन चट्टानों के लिए काम करती है जो 50,000 वर्ष से कम उम्र की हैं.


कार्बन-14 क्यों?


सभी जीवित चीजें पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से सूर्य से आने वाली ब्रह्मांडीय किरणों का सामना करती हैं. इनमें से कुछ कॉस्मिक किरणें वातावरण में एक परमाणु से टकराती हैं और कार्बन-14 परमाणुओं से युक्त एक द्वितीयक ब्रह्मांडीय किरण बनाती हैं जो हमारे द्वारा अब्सोर्ब होती हैं. कार्बन -14 रेडियोएक्टिव है और इसका आधा जीवन लगभग 5,700 वर्षों का होता है, जो कि एक रेडियोएक्टिव नमूने के परमाणु नाभिक के आधे हिस्से के क्षय के लिए आवश्यक समय है. जब कार्बन-14 परमाणु ऑक्सीजन से मिलते हैं तो वे कार्बन डाइऑक्साइड बनाते हैं, जिसे पौधे फोटोसिंथेसिस के माध्यम से अब्सोर्ब करते हैं. 


कार्बन डेटिंग से आयु कैसे स्थापित होती है?


जैसे-जैसे पौधे, जानवर और मनुष्य मरते हैं, वे सिस्टम में कार्बन-14 के संतुलन को रोक देते हैं, क्योंकि कार्बन अब अब्सोर्ब नहीं हो पाता. इस बीच, जमा हुआ कार्बन-14 क्षय खत्म लगता है. वैज्ञानिक आयु स्थापित करने के लिए फिर कार्बन डेटिंग की बची हुई मात्रा का विश्लेषण करते हैं.


कार्बन के अलावा पोटेशियम-40 भी एक ऐसा तत्व है जिसका विश्लेषण रेडियोएक्टिव डेटिंग के लिए किया जा सकता है. पोटेशियम-40 का आधा जीवन 1.3 बिलियन वर्ष, यूरेनियम-235 का 704 मिलियन वर्ष और थोरियम-232 का 14 अरब वर्ष. इसका चट्टानों की आयु का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.


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