West Bengal Teachers Recruitment Scam: पश्चिम बंगाल में करीब 25,000 शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों की नौकरी रद्द करने के हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ लगी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी आदेश से पहले विस्तृत सुनवाई की जरूरत है.


2016 में पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती के दौरान हुई नियुक्तियों में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के चलते कलकत्ता हाई कोर्ट ने इन्हें रद्द कर दिया है. इसके साथ ही गलत तरीके से नौकरी पाने वाले सभी शिक्षकों को पूरी तनख्वाह ब्याज समेत लौटाने के लिए भी आदेश दिया है. इसी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था.


शिक्षक भर्ती घोटाले में सीबीआई की जांच पर रोक


हालांकि, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस निर्देश पर रोक लगा दी, जिसमें CBI से मामले की आगे जांच को कहा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि फिलहाल CBI किसी को गिरफ्तार न करे. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती के इस मामले की अगली सुनवाई 6 मई को तय की है.


इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल को पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में टीचिंग और नॉन टीचिंग पदों पर की गईं सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया. 2016 में 'स्टेट लेवल सेलेक्शन टेस्ट' के जरिए स्कूलों में ये भर्तियां की गई थीं. हाई कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाले की आगे की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा था. हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है.


कलकत्ता हाई कोर्ट में लगी याचिका में लगे क्या आरोप?


2014 में 'स्टेट लेवल सेलेक्शन टेस्ट' (एसएलएसटी) के माध्यम से टीचर्स की नियुक्ति के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया. हालांकि, भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई. उस समय टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी पश्चिम बंगाल में शिक्षा मंत्री थे. याचिका में कहा गया कि जिन अभ्यार्थियों को कम नंबर मिले हैं, वो मेरिट लिस्ट में सबसे ऊपर हैं. इस बात का भी आरोप लगाया गया कि कुछ अभ्यार्थी ऐसे हैं, जिन्होंने भर्ती के लिए अप्लाई भी नहीं किया, मगर उन्हें नियुक्ति पत्र मिले हैं.


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