Row Over Varsity Appointments: पश्चिम बंगाल के राजभवन ने मंगलवार (12 सितंबर) को विभिन्न विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में रिक्त पदों पर शिक्षकों की भर्ती के लिए सर्च कमेटी (खोज समितियों) का गठन करने की घोषणा की. राजभवन की ओर से यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के साथ उसका विवाद चल रहा है.


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य संचालित विश्वविद्यालयों का चांसलर (कुलपति) होने की हैसियत से एक कार्यक्रम का घोषणा की. इस कार्यक्रम का नाम SPEED है. SPEED का आशय 'सिप्लीफाइड प्रॉसीजर फॉर ईजी एंड इफेक्टिव डिसीजन' मेकिंग से है. बोस के कार्यालय ने कहा कि पहल के हिस्से के रूप में 25 शिक्षकों वाली चयन समितियों का गठन किया जा रहा है.


राज्यपाल ने सर्च कमेटी गठित करने का कदम क्यों उठाया?


एक अधिकारी ने कहा कि चांसलर का इरादा यह सुनिश्चित करना है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में सभी शिक्षण पद भरे जाएं ताकि प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों और सीनियर फेलो आदि की कमी के कारण उन स्थानों पर शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित न हो.


इस कदम से बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच चल रही बयानबाजी के बढ़ने की संभावना है. सीएम ममता राज्य के लिए निवेशकों का ध्यान खींचने के लिए इस दुबई और स्पेन की यात्रा पर हैं.


विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों को लेकर ममता सरकार और राज्यपाल में विवाद


विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों को लेकर ममता बनर्जी सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद काफी समय से चला आ रहा है. 4 अगस्त को पश्चिम बंगाल विधानसभा में पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक 2023 पारित किया गया था.


नए कानून में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए तीन की जगह पांच सदस्यीय सर्च-कम-सेलेक्शन कमेटी गठित की गई थी, जिसके की ओर से नियुक्तियों पर फैसला किया जाना था, लेकिन 3 सितंबर की रात राज्यपाल ने प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, एमएकेएयूटी और बर्धमान यूनिवर्सिटी समेत सात विश्वविद्यालयों के कार्यवाहक कुलपतियों की नियुक्तियां कर दी थीं.


इसके बाद शिक्षक दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल पर शिक्षा प्रणाली में दखल देने का आरोप लगाया था. उन्होंने यहां तक चेतावनी दी थी कि अगर राज्यपाल  ऐसे ही काम करना जारी रखते हैं तो वह राजभवन के बाहर धरना देने को मजबूर होंगी. सीएम की चेतावनी के कुछ ही घंटों बाद 5 सितंबर की रात राज्यपाल बोस ने राज्य संचालित कन्याश्री विश्वविद्यालय में एक अंतरिम कुलपति की नियुक्ति की घोषणा कर दी थी. इस पद के लिए प्रोफेसर काजल को रखा गया.


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