CV Ananda Bose: पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस के खिलाफ राज भवन में काम करने वाली एक जूनियर महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. वहीं, अब कोलकाता पुलिस ने महिला को पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने से रोकने के आरोप में राज भवन तीन स्टाफ सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. उनके ऊपर आरोप हैं कि उन्होंने पीड़ित महिला को यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने से रोकने का काम किया. 


पुलिस ने स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर (ओएसडी), पेंट्री में काम करने वाली एक महिला स्टाफ और एक चपरासी पर एफआईआर दर्ज की है. एफआईआर हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है. इसमें कहा गया है कि जब राज भवन स्टाफ को मालूम चला कि पीड़ित महिला गवर्नर के खिलाफ शिकायत करने जा रही है तो उन्होंने उसे गलत तरीके से रोकने का काम किया. पीड़ित महिला के बयान को मजिस्ट्रेट के जरिए रिकॉर्ड कर लिया गया है. 


गवर्नर ने महिला के आरोप से किया इनकार


कोलकाता पुलिस ने ओएसडी एसएस राजपूत, पेंट्री स्टाफ कुसुम छेत्री और चपरासी संत लाल के खिलाफ केस दर्ज किया है. इन्होंने महिला को राज भवन से बाहर जाने से रोका था. वहीं, पश्चिम बंगाल गवर्नर ने महिला के जरिए लगाए गए आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि ये राजनीति से प्रेरित हैं. उनका कहना है कि वह बंगाल के लोगों की शिकायतों को मुखरता के साथ उठा रहे थे. लोगों से मुलाकात कर रहे थे, इसलिए उनके खिलाफ साजिश रची गई है. 


गवर्नर के खिलाफ नहीं दर्ज हुआ है मुकदमा


टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित महिला ने शुक्रवार शाम सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान दर्ज करवा दिया है. भले ही गवर्नर के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, लेकिन उनके ऊपर मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है, क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 361 (2) राष्ट्रपति और गवर्नर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू करने की इजाजत नहीं देता. मगर राज भवन के स्टाफ को ये सहूलियत नहीं मिलती है. 


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