WB State Universities Chancellor: पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) की जगह सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को राज्य के विश्वविद्यालयों की चांसलर (Universities Chancellor) बनाने के लिए विधेयक पारित किया है. पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को राज्यपाल के स्थान पर 31 राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के मुख्यमंत्री को चांसलर बनाने की मांग करते हुए एक विधेयक पेश किया था, जबकि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रस्तावित कानून को रोकने के  लिए भरपूर विरोध प्रदर्शन किया. 


बिल के पक्ष में 182 वोट और विरोध में 40 वोट पड़े. जिसके बाद विधानसभा में बिल को पारित किया गया. इस दौरान विधानसभा में विपक्ष और पक्ष के बीच तीखी बहस भी हुई. इससे पहले विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और छह अन्य भाजपा नेताओं, जिन्हें अनुशासनात्मक आधार पर विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने से रोक दिया गया था, ने विधेयक और उन पर प्रतिबंध के खिलाफ सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. सुवेंदु अधिकारी ने कहा हम देखेंगे कि सरकार विधेयक को कैसे पारित करती है. हम बाहर बैठे हैं लेकिन बीजेपी के अन्य विधायक बहस के दौरान इसकी वैधता को चुनौती देंगे. यहां तक कि अगर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अपनी ताकत के कारण इसे पारित करने का प्रबंधन करती है, तो राज्यपाल निश्चित रूप से केंद्र को बिल भेजेंगे क्योंकि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है. 


क्या बोले तृणमूल कांग्रेस के विधायक?


वहीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक मदन मित्रा ने कहा कि प्राइमरी विद्यालय शायद सेकेंडरी बन गया, सीएम ममता 5 साल और पहले आती तो बंगाल का हाल बदल जाता, ये राज्यपाल कुछ नहीं करते हैं, खाली पैसे लेते और राजस्थान और दिल्ली जाके बंगाल को अपशब्द कहते हैं. बंगाल के आदमी के टैक्स के पैसों से दार्जिलिंग में घूमते हैं. पश्चिम बंगाल के 294 सदस्यीय सदन में भाजपा के 70 सदस्य हैं जबकि टीएमसी के 217 सदस्य हैं. इस बिल के लिए राज्यपाल की सहमति की आवश्यकता होती है. टीएमसी के मंत्रियों ने कहा है कि अगर राज्यपाल विधेयक को मंजूरी नहीं देते हैं तो वे अध्यादेश ला सकते हैं. अध्यादेशों को भी राज्यपाल की मंजूरी की जरूरत होती है.


राज्य सरकार और राज्यपाल में चल रही थी खींचतान


बता दें कि, पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने बीती 6 जून को राज्यपाल जगदीप धनखड़ की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने के प्रस्ताव को सोमवार को अपनी मंजूरी दी थी. विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच चल रही खींचतान के बाद ये कदम उठाया गया है. खबरों के मुताबिक, राज्यपाल धनखड़ ने पहले ये आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ने उनकी सहमति के बिना कई कुलपति नियुक्त किए हैं.  


गुजरात का किया गया जिक्र


इससे पहले तमिलनाडु और गुजरात ने राज्य सरकारों को राज्य-वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के कुलपति नियुक्त करने का अधिकार देने वाला कानून पारित किया है. लेकिन राज्यपाल चांसलर के रूप में बने रहते हैं. गुजरात ने 2015 में ऐसा करने के सात साल बाद तमिलनाडु ने अपना कानून अप्रैल में पारित किया था. ये मुद्दा पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चैटर्जी ने भी विधानसभा में उठाया और सवाल किया कि जो BJP गुजरात में इस कानून को पारित करती है वो बंगाल में इसका विरोध कैसे कर सकती है. 


राज्यपाल ने भर्ती घोटाले से ध्यान हटाने की चाल बताया


वहीं 29 मई को, पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor Jagdeep Dhankhar) ने इस कानून को एक स्कूल भर्ती घोटाले से ध्यान हटाने के लिए एक चाल बताया था, जिसकी केंद्रीय जांच ब्यूरो कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) के निर्देश के अनुसार जांच कर रही है. धनखड़ ने कहा था कि सरकार विधेयक को आसानी से पारित नहीं कर पाएगी. कुलाधिपति (Chancellor) कौन बनता है और क्या राज्यपाल की भूमिका को कम किया जा सकता है, ये ऐसी चीजें हैं जिनकी मैं जांच करूंगा, जब कागजात मेरे पास आएंगे. भर्ती घोटाले में जो कुछ हो रहा है, उससे ध्यान हटाने के लिए यह एक चाल है, मीडिया ऑप्टिक्स उत्पन्न करने की रणनीति है. यह सभी घोटालों की जननी है. 


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