Vote For Note Case: वोट फॉर नोट केस में सोमवार (4 मार्च, 2024) को आए बड़े फैसले के वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैसे लेकर सवाल करना तो जहर जैसा है. यह चीज तो कैंसर सरीखी बीमारी के समान है. इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए. ये बातें टॉप कोर्ट के फैसले के बाद एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने बताईं.
अश्विनी उपाध्याय के अनुसार आज सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने कहा कि अगर कोई सांसद राज्यसभा चुनाव में सवाल पूछने या वोट देने के लिए पैसे लेता है तो वे अभियोजन से छूट का दावा नहीं कर सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोट देने के लिए पैसे लेना या प्रश्न पूछना भारतीय संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देगा.
अब चलेगा मुकदमा- अश्विनी उपाध्याय
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने इस दौरान पुराने फैसले को भी ओवर-रूल कर दिया (पलटने के संदर्भ में). कोर्ट ने साफ किया कि कोई भी विधायक अगर रुपए लेकर सवाल पूछता है या रुपए लेकर किसी को कोट करता है (राज्यसभा चुनाव में) तब उसे कोई संरक्षण नहीं मिलेगा. न ही उसे कोई प्रोटोकॉल मिलेगा बल्कि उसके खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चलेगा.
"यह संसदीय लोकतंत्र के लिए कैंसर जैसा"
एडवोकेड अश्विनी उपाध्याय आगे बोले, "सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पैसे लेकर सवाल पूछना और कोट करना, यह संसदीय लोकतंत्र के लिए जहर के जैसा है. यह संसदीय लोकतंत्र के लिए कैंसर है और इसलिए इसे रोकना बहुत जरूरी है. ऐसे में पैसा लेकर संसद में कुछ भी करने पर कोई इम्युनिटी नहीं होगी. जिस तरह अपराधी के खिलाफ केस चलता है, वैसे ही उनके खिलाफ भी केस चलेगा."