नई दिल्लीः कोविड-19 वैक्सीन Covaxin की कम्पोजीशन को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये सवाल खड़े किए जा रहे हैं और यह बताया जा रहा है की कौवैक्सीन में नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल होता है. इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इन पोस्टों में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. 


स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक वायरस कल्चर करने की एक तकनीक है और पोलियो, रेबीज और इन्फ्लुएंजा के टीकों में दशकों से इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. फाइनली रूप से बन कर तैयार होने वाली कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम बिल्कुल नहीं होता है और ना ही ये सीरम वैक्सीन उत्पाद का इंग्रेडिएंट है.


पोलियो, रेबीज और इन्फ्लुएंजा के टीकों में होता है इस तकनीक का इस्तेमाल
नवजात बछड़ा सीरम का उपयोग केवल वेरो कोशिकाओं / सेल्स की तैयारी या वृद्धि के लिए किया जाता है. विभिन्न प्रकार के पशु का सीरम वेरो सेल ग्रोथ के लिए विश्व स्तर पर उपयोग किए जाने वाले स्टैंडर्ड एनरिचमेंट इंग्रेडिएंट्स हैं. वेरो सेल्स का उपयोग कोशिका जीवन को स्थापित करने के लिए किया जाता है जो टीकों के उत्पादन में मदद करते हैं. पोलियो, रेबीज और इन्फ्लुएंजा के टीकों में दशकों से इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.


इन वेरो कोशिकाओं को वृद्धि के बाद, पानी से धोया जाता है. रसायनों से धोया जाता है जिसे तकनीकी रूप से बफर के रूप में भी जाना जाता है. इसके बाद ये वेरो सेल्स वायरल ग्रोथ के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाते हैं.


वैक्सीन तैयार करने में बछड़े के सीरम का नहीं होता जाता है उपयोग
वायरल ग्रोथ की प्रक्रिया में वेरो कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं. इसके बाद यह विकसित वायरस भी मर जाता है यानी निष्क्रिय और शुद्ध हो जाता है. इस किल्ड वायरस का उपयोग अंतिम टीका बनाने के लिए किया जाता है. वैक्सीन तैयार करने में कोई बछड़े के सीरम का उपयोग नहीं किया जाता है. इसलिए फाइनल बन कर तैयार वैक्सीन Covaxin में नवजात बछड़े का सीरम बिल्कुल नहीं होता है और ना ही ये सीरम वैक्सीन उत्पाद का इंग्रेडिएंट है. 


यह भी पढ़ें-


Twitter controversy: रविशंकर प्रसाद बोले- अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कानून के पालन से नहीं बच सकते


सपा नेता आजम खान की तबीयत हुई ज्यादा खराब, पत्नी बोलीं- मुंह में हुआ अल्सर, खाना नहीं खा पा रहे