Khargone Violence: मध्य प्रदेश के खरगोन और सेंधवा में हुई बुलडोजर कार्रवाई की जांच के लिए SC में याचिका दाखिल हुई है. खुद को प्रशासन की मनमानी से पीड़ित बताने वाली रज़िया, हिदायतुल्ला, मुस्तकीन समेत 6 लोगों ने SIT का गठन कर मामले की जांच की मांग की है.


याचिका में मांग की गई है कि दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो. साथ ही, अपने मकान या दुकान गंवाने वालों को मुआवजा देने और आगे ऐसी कार्रवाई पर रोक की भी मांग याचिकाकर्ताओं ने की है. वकील अदील अहमद और एहतेशाम हाशमी के ज़रिए दाखिल याचिका में कहा गया है कि 10 अप्रैल को खरगोन के तालाब चौक के नज़दीक जामा मस्जिद रामनवमी की शोभायात्रा निकालते समय भड़काऊ गाने बजाए गए और नारेबाजी हुई.


लोगों में डर बैठाना चाहते हैं प्रशासनिक अधिकारी


इसे लेकर 2 समुदाय के लोगों में बहस हुई और उसके बाद उपद्रव हुआ. लेकिन प्रशासन ने सिर्फ एक समुदाय को निशाना बनाते हुए उसकी संपत्ति का नुकसान किया. कई आला अधिकारी यह कहते हुए पाए गए कि ऐसा कर के वह लोगों में डर बैठाना चाहते हैं.


सभी 6 याचिकाकर्ता खरगोन और बरवनी जिले के सेंधवा तहसील के रहने वाले हैं. इनका कहना है कि पूरी कार्रवाई नियम-कानून के खिलाफ हुई है. एक तरफ सरकार हिंसा से हुए नुकसान की वसूली के लिए सरकार 'मध्य प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान की वसूली कानून' के तहत कार्रवाई कर रही है.


एससी में की एसआईटी के गठन की मांग


दूसरी तरफ उसने बिना नोटिस दिए लोगों की संपत्ति पर बुलडोज़र चला दिया. यह कानून की नज़र में समानता, सम्मान के साथ जीवन जीने जैसे मौलिक अधिकारों का हनन है. याचिकाकर्ताओं ने मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में SIT के गठन की मांग की है.


उन्होंने यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट अवैध तरीके से लोगों की संपत्ति गिराने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दे. याचिका में मकान-दुकान दोबारा बनाए जाने, मुआवजा देने और भविष्य में इस तरह की प्रशासनिक कार्रवाई रोकने की भी मांग की गई है.


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