Vice President Jagdeep Dhankhar: देश के नए उपराष्ट्रपति ने जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के स्थापना दिवस पर एक कार्यक्रम में कहा कि किसी भी तरह से बढ़त बनाना खासकर भौगोलिक सीमा के मामले मे, मानवाधिकारों का उल्लंघन माना जाता है. भारत एक जिम्मेदार देश की हैसियत से कभी भी ऐसी चीजों पर विश्वास नहीं करता है.


भारत मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं करता


उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि एक राष्ट्र के तौर पर भारत कभी इस तरह की नीति में विश्वास नहीं करता है. भारत का कल्चर ऐसा है कि अपने देश की चिंता सिर्फ खुद तक सीमित नहीं रखता है, बल्कि यह पूरी दुनिया की परवाह करता है.


विस्तारवादी नीति में विश्वास नहीं


उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ऐसा कोई देश नहीं है जो हमारी विस्तारवादी नीति न मानने के रिकॉर्ड की बराबरी कर सके.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक राष्ट्र के तौर पर हमने कभी विस्तारवादी नीति में विश्वास नहीं किया है. विशेषकर भौगोलिक सीमाओं में किसी भी तरह के विस्तार में चरम स्तर पर मानवाधिकार उल्लंघन शामिल होता है. इस राष्ट्र (भारत) ने ऐसा कभी नहीं किया है.’’


उपराष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक अवधारणा के तौर पर मानवाधिकार को केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा के बचाव के सीमित अर्थ तक ही नहीं समेटा जा सकता है. इन्हें बड़े तौर के नजरिया में समझना होगा.


पहले भी विस्तारवादी नीति पर बोल चुके हैं उपराष्ट्रपति


उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नेशनल डिफेंस कॉलेज (NDC) में एक कार्यक्रम पहले भी विस्तारवादी नीति पर बोल चुके हैं. धनखड़ ने कहा था कि भारत हमेशा से वसुधैव कुटुम्बकम के नियमों को मानता रहा है. उन्होंने कहा, 'भारत का दृष्टिकोण अपने पूरे इतिहास में कभी भी विस्तारवादी नहीं रहा है. वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा भारत की सभ्यता का मूल रहा है.' भारत के संविधान की प्रस्तावना भारत के कई मूल मूल्यों (Core Values) को दर्शाती है.


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