31 अक्टूबर को देश के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाराणसी दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने वाराणसी में 60 करोड़ की लागत से तैयार हुए श्री काशी नट्टुकोट्टई नागरा सतरम मैनेजिंग सोसाइटी का शुभारंभ किया, इस 10 मंजिला इमारत में 140 कमरे हैं. जहां श्रद्धालु पर्यटकों को ठहरने की शानदार सुविधा मिल सकेगी. इसके अलावा देश के उपराष्ट्रपति और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की तरफ से काशी और तमिल के गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव के बारे में भी चर्चा किया गया. लेकिन इन सब के बीच उपराष्ट्रपति की तरफ से अपने आप को शाकाहारी होने को लेकर दिया गया बयान सबसे ज्यादा सुर्खियों में है.

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उपराष्ट्रपति सी.पी.राधाकृष्णन ने वाराणसी और तमिलनाडु के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक बंधन पर अपने संबोधन के दौरान खास जोर दिया. उन्होंने अपने पूर्व काशी यात्रा को याद करते हुए कहा कि 25 सालों में काशी के बदलाव को हमने देखा है. इस प्रगति का श्रेय उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व को दिया. इसी बीच उन्होंने एक व्यक्तिगत बात की भी चर्चा करते हुए कहा कि सन 2000 में गंगा नदी में पवित्र स्नान करने के बाद वह शाकाहारी हो गए. उपराष्ट्रपति की तरफ से बेबाक तरीके से कहे गए इस बात को लेकर कुछ पल के लिए सभी काफी हैरान भी हो गए.

काशी में 51000 करोड़ में 34000 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संस्कृत भाषा तथा तमिल साहित्य को सबसे प्राचीन साहित्य बताया और कहा कि यह समाज में समरसता बनाए हुए है. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि - श्री काशी विश्वनाथ धाम में न केवल मंदिर का कायाकल्प हुआ है बल्कि इसने भक्ति को एक नए वैश्विक स्तर पर जोड़ा है. काशी में अब तक 51 हजार करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है, जिसमें लगभग 34000 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण भी किया जा चुका है. इसके बाद उपराष्ट्रपति और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे जहां उन्होंने शांति समृद्धि और देश की भलाई के लिए भगवान विश्वनाथ से प्रार्थना की.

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