मुंबई: देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटकों से लदी स्कॉर्पियो के मालिक की मौत हो गई. स्कॉर्पियो के मालिक मनसुख हिरेन की मौत मामले में अब शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में ‘मनसुख वापस क्यों नहीं लौटे?’ के नाम से संपादकीय लिखा है. शिवसेना ने इस मामले में विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया है और कहा है कि किसी की लाश के कफन पर रोटी सेंकने की यह आदत विपक्षी दल जितनी जल्दी छोड़ेगा, उतना अच्छा है.


शिवसेना ने मनसुख की मौत को कई मामलों से जोड़ा


शिवसेना ने लिखा है, ‘’महाराष्ट्र में एक तरफ जब पूजा चव्हाण आत्महत्या का मामला सुर्खियों में रहा, उसी दौरान अंबानी की ‘एंटीलिया’ इमारत के बाहर जिलेटिन से भरी गाड़ी खड़ी की जाती है. अंबानी के घर के सामने जो स्कॉर्पियो गाड़ी मिली थी, उस गाड़ी के मालिक मनसुख हिरेन की लाश संदिग्ध तरीके से मुंब्रा की खाड़ी में मिली. मनसुख की मौत संदिग्ध और उतनी ही रहस्यमय है. यह सब ऐसे समय में हुआ जब विधानसभा अधिवेशन चल रहा था. ‘मारुति कांबले का क्या हुआ?’ की तरह मनसुख हिरेन का क्या हुआ? मुद्दे पर विधिमंडल में हंगामा हो सकता है. क्योंकि विरोधी दल नेता फडणवीस ने शुक्रवार को मनसुख मामले में कुछ मुद्दे उपस्थित किए हैं.’’


शिवसेना ने आगे लिखा, ‘’मनसुख हिरेन की पत्नी ने कुछ जानकारियां दी हैं. उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया था. यह फोन तथाकथित पुलिस अधिकारी का था. इसके बाद मनसुख घर से बाहर निकले और वापस लौटे ही नहीं. फिर उनकी लाश मुंब्रा की खाड़ी में मिली. गांड़ी मिलने से चार दिन पहले ही मनसुख ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी गाड़ी चोरी हो गई है. इस मामले में मनसुख की जांच चल रही थी और वे बहुत तनाव में थे. उन पर किसी का दबाव जरूर रहा होगा और उसी के कारण उनकी मृत्यु हुई है.’’


मनसुख की आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या ही है- परिजनों के हवाले से शिवसेना


सामने में लिखा है, ‘’मनसुख की आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या ही है, उनके परिजनों का ऐसा कहना है. फिर इस हत्या का सूत्रधार कौन है. मनसुख प्रकरण में विरोधी दल आक्रामक होगा और सरकार द्वारा हवा-हवाई के उत्तर देना नहीं चलेगा. इसलिए अंबानी के घर के सामने मिली गाड़ी एक बड़ा रहस्य है. अंबानी परिवार की खुद की सुरक्षा सरकार से अधिक मजबूत है. उनके निवास स्थान के बाहर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सीसीटीवी कैमरे हैं. कोई भी ऐरा-गैरा वहां नहीं आ-जा सकता. ऐसे में विस्फोटकों से भरा एक लावारिस वाहन वहां कैसे पहुंचा? इस मामले में मुंबई-ठाणे के 400 से ज्यादा सीसीटीवी वैâमरों की जांच हुई, लेकिन जांच जरा-सी भी आगे नहीं बढ़ी.’’


शिवसेना ने लिखा,‘मेरे पिता अच्छे तैराक थे और आत्महत्या करनेवालों में से नहीं थे. उन्हें किसी भी प्रकार का तनाव नहीं था. फोन आया और वे बाहर चले गए, फिर वे नहीं लौटे,’ ऐसी जानकारी मनसुख के बेटे ने दी. मन में आशंका उत्पन्न होती है और राजनेता उसे हवा देते हैं. मनसुख की मृत्यु मामले की जांच के दौरान विरोधी दल यही कर रहा है. किसी की लाश के कफन पर रोटी सेंकने की यह आदत विपक्षी दल जितनी जल्दी छोड़ेगा, उतना अच्छा!’’


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