संयुक्त राष्ट्र से जुड़े वैश्विक वन्य जीव व्यापार संगठन CITES ने भारत पर लुप्त हो रहे जंगली जानवरों के आयात पर रोक लगाने की अपनी पुरानी सिफारिश वापस ले ली है. इसी मुद्दे को लेकर अनंत अंबानी की वनतारा परियोजना पर भ्रम फैलाने की कोशिश की गई थी. उज़्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित CITES के 20वें कॉन्फ़्रेंस ऑफ़ द पार्टीज की बैठक में रविवार (23 नवंबर 2025) को स्थायी समिति और अधिकांश सदस्य देशों ने भारत के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया.
उन्होंने माना कि पशु आयात के संबंध में भारत के खिलाफ कोई सबूत या कार्रवाई योग्य आधार नहीं है. यह निर्णय वनतारा के कानूनी, पारदर्शी और विज्ञान-आधारित वन्यजीव संरक्षण मॉडल की मजबूत पुष्टि करता है. इसके साथ ही यह भी साबित करता है कि वनतारा वैश्विक मानकों के अनुरूप काम करता है और दुनिया के सबसे नैतिक और पेशेवर वन्यजीव संरक्षण केंद्रों में से एक है. वनतारा 1.5 लाख से अधिक बचाए गए और लुप्तप्राय जानवरों को आश्रय देने के लिए बनाया गया है.
CITES ने ने सितंबर 2025 में वनतारा में दो दिवसीय मिशन चलाया था. इस दौरान वनतारा के बाड़ों (enclosures), मेडिकल सुविधाओं, रिकॉर्ड, बचाव कार्यों और कल्याण प्रोटोकॉल का डिटेल में निरीक्षण किया गया था. CITES सचिवालय ने 30 सितंबर 2025 को अपनी रिपोर्ट में वनतारा को एक आधुनिक, कल्याण-प्रधान और एडवांस पशु चिकित्सा देखभाल वाली एक विश्व-स्तरीय संस्था के रूप में मान्यता दी. इसमें साफ तौर पर कहा गया था कि वनतारा का काम पूरी तरह जानवरों के संरक्षण और देखभाल पर केंद्रित है और यहां किसी तरह का व्यावसायिक व्यापार नहीं होता है.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी हालिया एसआईटी रिपोर्ट में वंतारा के मॉडल को नैतिक, पारदर्शी और वैज्ञानिक तरीकों से पशु संरक्षण का नया मानक बताया गया है. आज के समय में जानवरों और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा पर दुनिया भर में ध्यान दिया जा रहा है. ऐसे समय में वनतारा जैसी पहल भारत को वैश्विक स्तर पर एक सकारात्मक उदाहरण पेश कर रही है.