ब्रिटेन में रहने वाली भारतीय मूल की प्रोफेसर और प्रसिद्ध अकादमिक निताशा कौल ने केंद्र सरकार के उस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें उन्हें भारत आने से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था और उनका ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड भी रद्द कर दिया गया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने निताशा कौल की अर्जी पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने निताशा कौल की अंतरिम राहत की मांग वाली याचिका पर भी नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्होंने अपनी वृद्ध और बीमार मां की देखभाल के लिए तीन हफ्ते के लिए भारत आने की अनुमति मांगी है. इस मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी 2025 को होगी.

कौन हैं निताशा कौल?

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निताशा कौल यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर लंदन में इंटरनेशनल रिलेशंस की प्रोफेसर हैं. कश्मीरी पंडित परिवार से ताल्लुक रखने वाली कौल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से इकोनॉमिक्स पढ़ाई की और फिर ब्रिटेन से इकॉनॉमिक्स और फिलॉसफी में संयुक्त पीएचडी की. वे कश्मीर, राष्ट्रवाद और हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों पर लंबे समय से लिखती और बोलती रही हैं. 2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद उन्होंने अमेरिकी संसद की विदेशी मामलों की समिति के सामने कश्मीर में मानवाधिकारों पर गवाही भी दी थी जिसके बाद से वे अक्सर चर्चा में रहने लगीं.

साल 2024 में भारत आई थी निताशा कौल

निताशा कौल फरवरी 2024 को एक सम्मेलन में शामिल बेंगलुरु होने आई थीं. यह कार्यक्रम संविधान और राष्ट्रीय एकता विषय पर था और कर्नाटक सरकार की ओर से आयोजित किया जा रहा था. उनके पास वैध ब्रिटिश पासपोर्ट और OCI कार्ड था फिर भी उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया. करीब 24 घंटे हिरासत में रखने के बाद उन्हें वापस भेज दिया गया.

इसके बाद मई 2025 में सरकार ने उनका OCI स्टेटस रद्द कर दिया. सरकार की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया कि निताशा कौल की लिखाई और उनके भाषण भारत-विरोधी हैं और वे देश की संप्रभुता को निशाना बनाते हैं.

निताशा कौल ने सरकार के फैसले को दी चुनोती 

दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में निताशा कौल ने कोर्ट में दलील दी है कि बिना किसी ठोस आधार के उनका OCI रद्द करना और उन्हें भारत आने से रोकना उनके अधिकारों का उल्लंघन है. दिल्ली हाई कोर्ट 22 जनवरी  को मामले की सुनवाई करेगा.