प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर सोमवार को लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करेंगे. इसमें राष्ट्रीय गीत के बारे में कई महत्वपूर्ण और अज्ञात पहलुओं के सामने आने की संभावना है. लोकसभा में 'राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा' सोमवार के लिए सूचीबद्ध है. इस पर बहस के लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है. इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस चर्चा में दूसरे वक्ता होंगे. 

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इस चर्चा में लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी वाद्रा सहित अन्य सदस्य भी शामिल होंगे. संसद में यह चर्चा, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित और जदुनाथ भट्टाचार्य द्वारा संगीतबद्ध वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर वर्ष भर आयोजित होने वाले समारोह का हिस्सा है.

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर क्या आरोप लगाए हैं?

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प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उस पर 1937 में इस गीत से प्रमुख छंदों को हटाने और विभाजन के बीज बोने का आरोप लगाया था. 7 नवंबर को, मोदी ने वंदे मातरम् के 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में वर्ष भर आयोजित होने वाले समारोहों की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से युवाओं और छात्रों के बीच इस गीत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. अधिकारियों ने बताया, 'चर्चा के दौरान वंदे मातरम् से जुड़े कई महत्वपूर्ण और अनजाने पहलू देश के सामने आएंगे.'

अमित शाह राज्यसभा में करेंगे चर्चा की शुरुआत

गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत करेंगे और स्वास्थ्य मंत्री एवं राज्यसभा के नेता जे पी नड्डा दूसरे वक्ता होंगे. 

पीएम मोदी के आरोप पर कांग्रेस ने क्या कहा?

पीएम मोदी के आरोप पर कांग्रेस का जवाब भी आया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पलटवार करते हुए  पीएम मोदी पर 1937 की कांग्रेस वर्किंग कमेटी और रविंद्रनाथ टैगोर का अपमान करने का आरोप लगाया था. उन्होंने लिखा था कि प्रधानमंत्री का CWC और टैगोर का अपमान करना चौंकाने वाला है, लेकिन आश्चर्यजनक नहीं. ऐसा इसलिए है क्योंकि आरएसएस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं निभाई थी.

उन्होंने बताया था कि '26 अक्टूबर से 1 नवंबर 1937 तक कोलकाता में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई थी, जिसमें गांधीजी, नेहरू, पटेल, बोस, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना आजाद, सरोजिनी नायडू, जे.बी. कृपलानी, भुलाभाई देसाई, जमनालाल बजाज और नरेंद्र देव समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे. उन्होंने लिखा, '28 अक्टूबर 1937 को वंदे मातरम पर CWC का बयान जारी हुआ था, जो गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की सलाह से गहराई से प्रभावित था. प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक समिति और टैगोर दोनों का अपमान किया है.'

बीजेपी प्रवक्ता बोले- कल ऐतिहासिक दिन

बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इस दौरान कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को न भूला जाए. जवाहरलाल नेहरू ने वोट बैंक की राजनीति के लिए पूरे वंदे मातरम को छोटा कर दिया है. सुभाष चंद्र बोस जैसे दूसरे कांग्रेसियों के विरोध के बावजूद. 

उन्होंने कहा कि नेहरू ने 1937 में मुस्लिम लीग और जिन्ना के वंदे मातरम से छंद हटाने की मांग के आगे घुटने टेक दिए. जब गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर ने दिसंबर 1886 के सेशन में पूरा वंदे मातरम पढ़ा था तो कांग्रेस के प्रेसिडेंट एक मुस्लिम रहीमतुल्ला एम. सयानी थे. बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा (1875) में लिखा गया, वंदे मातरम ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में हिंदुओं और मुसलमानों को एकजुट किया. पूरा वंदे मातरम 1905 में अंग्रेजों द्वारा बंगाल के बंटवारे के खिलाफ बंगाल में मुख्य नारा था.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इसे कट्टरपंथी और कट्टरपंथियों की "आपत्तियों" का हवाला देते हुए दो छंदों तक सीमित कर दिया. प्रधानमंत्री मोदी  ने इस तुष्टीकरण की मानसिकता को मुस्लिम लीग माओवादी कांग्रेस कहकर सही कहा है. कांग्रेस हमेशा भारत की सभ्यता की आत्मा, राष्ट्रीय प्रतीकों और "वंदे मातरम" की शाश्वत पुकार से असहज रही है. यहां तक ​​कि राहुल गांधी ने एक पब्लिक रैली में केसी वेणुगोपाल से वंदे मातरम का पाठ रोकने के लिए कहा क्योंकि उन्हें देर हो रही थी.

साल 1875 में लिखा था राष्ट्रीय गीतवंदे मातरम गीत की रचना बंग्ला भाषा के साहित्यकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने की थी. उन्होंने इसे 7 नवंबर 1875 को साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में प्रकाशित करवाया था. इसी गीत के आधार पर उन्होंने अपनी अमर रचना आनंदमठ उपन्यास लिखा था.