नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के काल में लोगों को एक दूसरे देश आने जाने के लिए वैक्सीनेशन को एक आधार बनाए जाने पर चर्चा चल रही है. डब्लूएचओ यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन उन वैक्सीन की सूची तैयार कर रहा है, जिनको लेने के बाद लोग एक देश से दूसरे देश जाने के योग्य हो जाएंगे. केंद्र सरकार ने कहा है कि इस मसले पर डब्यूएचओ में चर्चा चल रही है, लेकिन कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है.


अभी तक गाइडलाइन्स केवल टेस्टिंग को लेकर


स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के मुताबिक़, "अभी तक जो गाइडलाइन्स हैं, वो केवल टेस्टिंग को लेकर हैं. यानि यात्रा के पहले कोरोना निगेटिव होना. इस मुद्दे पर डब्यूएचओ में फिलहाल कोई आम सहमति नहीं बनी है हालांकि चर्चा अभी जारी है".


...फिर कोरोना जांच कराने की नहीं होगी जरूरत?


दरअसल ख़बरों के मुताबिक, डब्यूएचओ उन वैक्सीन की सूची तैयार कर रहा है, जिन्हें Emergency Use Listing ( EUL ) में शामिल किया जाएगा. जो वैक्सीन इस सूची में शामिल होंगी, उन वैक्सीन को लेने वाले लोगों को दूसरे देशों में जाने की पात्रता हासिल हो जाएगी और उन्हें बार बार कोरोना जांच करवाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.


भारत के नज़रिए से क्यों जरूरी है खबर?


भारत के नज़रिए से ये ख़बर ज़रूरी इसलिए है, क्योंकि ख़बरों के मुताबिक डब्यूएचओ ने अभी तक जो सूची बनाई है, उसमें अस्ट्राजेनेका का तो नाम है लेकिन COVAXIN का नाम नहीं है. अस्ट्राजेनेका की बनाई वैक्सीन को ही भारत में सीरम इंस्टीट्यूट कोविशिल्ड नाम से बना रहा है. अगर अंतिम सूची में भी COVAXIN का नाम शामिल नहीं होता है तो इसे भारत में लगाने वाले करोड़ों लोगों की विदेश यात्रा पर तलवार लटक जाएगी.


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