Uttar Pradesh Assembly Election 2022: असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) के लिए उत्तर प्रदेश बंगाल बनेगा या बिहार? इस बार वे बंगाल वाली गलती दोहराने के मूड में नहीं हैं. लखनऊ पहुंचते ही ओवैसी ने अपने राजनीतिक फॉर्मूले का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा कि इस बार यूपी में एमवाई फैक्टर नहीं चलेगा. ये वही फैक्टर है जिसकी बदौलत पहले मुलायम सिंह और फिर उनके बेटे अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री बने.


एमवाई मतलब मुस्लिम-यादव से है. दोनों जोड़कर करीब 30 प्रतिशत वोट बैंक होता है. समाजवादी पार्टी की यही ताकत रही है. समाजवादी पार्टी के ही मुसलमानों को पहली पसंद माना जाता है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी इसी पसंद को बदलकर खुद सबसे पसंदीदा बनना चाहते हैं. समाजवादी पार्टी की साइकिल पंक्चर किए बिना ओवैसी की पतंग उड़ान नहीं भर सकती है. असदुद्दीन ओवैसी इस बार यूपी के मुसलमानों का टेस्ट बदलना चाहते हैं.


अपनों को करें वोट


वे उस कहावत को भी बदलना चाहते हैं कि बीजेपी को हराने वाले को मुसलमान वोट करते हैं. ओवैसी का मैसेज है कि मुसलमान इस बार के चुनाव में अपनों को वोट करें. अपनों से मतलब एआईएमआईएम से है. पिछले विधानसभा चुनाव में उनका ये फॉर्मूला नहीं चला था. वे बस कागजी शेर साबित हुए थे. पार्टी ने 38 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, 37 पर जमानत भी नहीं बची. कुल दो लाख वोट मिले थे. लेकिन तब से लेकर अब तक गंगा में बहुत पानी बह चुका है. इस बार ओवैसी कम से कम सौ सीटों पर चुनाव लड़ने का दम भर रहे हैं.


A टू Z समीकरण


असदुद्दीन ओवैसी ने आज पूर्वी यूपी के बहराइच में एआईएमआईएम के पार्टी कार्यालय का उद्घाटन किया. वे वहां गाजी सालार मसूद की दरगाह पर भी गए. यहां उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस बार MY नहीं A टू Z समीकरण चलेगा. ओवैसी इस बार अखिलेश का गेम बिगाड़कर अपना खेल बनाने की कोशिश में जुटे हैं. लेकिन उन पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगता रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार में 20 सीटों पर लड़कर 5 सीटों पर जीते जबकि बाकी 15 में 9 सीटों पर महागठबंधन की जीत हुई. यूपी में 20 प्रतिशत मुस्लिम वोट के लिए समाजवादी पार्टी, बीएसपी से लेकर कांग्रेस तक दावेदार हैं.


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