India-US Relations: भारत और अमेरिका के रिश्ते पिछले एक दशक में बहुत ही ज्यादा मजबूत हुए हैं. रक्षा से लेकर व्यापार तक के क्षेत्र में दोनों देश एक-दूसरे के करीब आए हैं. अमेरिका भी इस बात को दोहराता रहा है. इसी कड़ी में भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि भारत-अमेरिका संबंध दुनिया के लिए अच्छाई की ताकत हैं. भविष्य में दोनों देशों के बीच इस रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मकता भरी हुई है. 


कार्नेगी के ग्लोबल टेक समिट 2023 में बोलते हुए, गार्सेटी ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध तेजी से बढ़ और गहरे हो रहे हैं. दोनों देश न केवल मतभेदों पर बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि अगल कदम उठाने पर भी बात हो रही है. दरअसल, भारत और अमेरिका को करीब लाने में कहीं न कहीं चीन का भी बड़ा हाथ रहा है. एशिया-प्रशांत में चीन को कंट्रोल करने के लिए अमेरिका को भारत जैसे ताकतवर और मजबूत साथी की जरूरत है. 


भारत-अमेरिका के रिश्तों पर क्या-क्या बोले राजदूत?


एरिक गार्सेटी ने भारत-अमेरिका संबंध पर बात करते हुए कहा, 'भारत-अमेरिका के बीच रिश्ते लंबे समय तक हमारे फेसबुक स्टेटस की तरह था, जिसमें हम 'इट्स कॉम्पलिकेटेड (जटिल) लिखते थे. मगर अब ये 'दे आर डेटिंग' (डेट कर रहे हैं) हो चुके हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'अब हम सोच रहे हैं कि क्या हमें एकसाथ आ जाना चाहिए और अब हमें लग रहा है कि आपकी कुछ आदतें हमसे थोड़ी अलग हैं. और हम भी ये भी सोच रहे हैं कि ये रिश्ते किस और जाएंगे.'


अमेरिकी राजदूत ने कहा, 'हमारे रिश्तों में एक सकारात्मक रोमांटिक अस्पष्टता है कि ये कहां तक जाने वाला है. लेकिन दोनों ही देशों के बीच रिश्तों को आगे ले जाने की पूरी इच्छा है.' सकारात्मक रोमांटिक अस्पष्टता उस हालात को कहा जाता है, जहां अगर किसी के बीच प्रेम संबंध में हैं, तो वह सामने वाले की हर बात को सकारात्मक तरीके से लेता है. भले ही वह कुछ भी कहे. ये दिखाता है कि भारत-अमेरिका के रिश्ते किस तरह मजबूत होते चले गए हैं. 


गार्सेटी ने कहा कि दोनों के बीच सहयोग का सबसे मजबूत उदाहरण जी20 रहा है. यहां पर भारत ने उन देशों संग बातचीत की, जो उसके करीब थे और अमेरिका ने अपने करीबियों संग चर्चा की, ताकि एक ऐतिहासिक समझौते पर पहुंचा जा सके. जी20 बैठक के दौरान यूक्रेन युद्ध को लेकर आम सहमति बनाना बेहद ही मुश्किल था. हालांकि, इसके बाद भी भारत और अमेरिका ने इस पर सभी देशों को सहमत किया और दिल्ली घोषणापत्र पर सभी देशों ने साइन किया. 


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