सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि वह बर्खास्त IAS पूजा खेडकर के मामले की जांच जल्द पूरी करे. दिल्ली पुलिस ने फर्जीवाड़ा कर आईएएस बनने से जुड़े इस केस की तह तक पहुंचने के लिए गिरफ्तारी को जरूरी बताया. हालांकि,  कोर्ट ने पूजा की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक को 15 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया. कोर्ट ने पूजा से जांच में सहयोग के लिए भी कहा.

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें राहत देने से मना करते हुए कहा था कि यह सिर्फ संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के साथ ही नहीं, देश के आम लोगों के साथ भी धोखा है. सिविल सर्विस का हिस्सा बनने के लिए पूरी मेहनत से प्रयास करने वाले युवाओं के हित के लिए भी यह जरूरी है कि मामले की विस्तृत जांच हो. 23 दिसंबर के इस आदेश के खिलाफ पूजा सुप्रीम कोर्ट पहुंची. 15 जनवरी को जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने दिल्ली पुलिस और यूपीएससी को नोटिस जारी करते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी.

पूजा खेडकर पर फर्जी ओबीसी सर्टिफिकेट बनवाने, अपने नाम में बदलाव कर धोखाधड़ी करने और विकलांगता का झूठा प्रमाण पत्र देकर यूपीएससी में चयन की पात्रता हासिल करने जैसे कई आरोप हैं. 2022 में आईएएस चुनी गईं पूजा को पुणे में असिस्टेंट कलेक्टर के तौर नियुक्ति मिली थी. वहां उन पर एडिशनल कलेक्टर के दफ्तर पर कब्जा करने, निजी गाड़ी पर सरकारी बत्ती लगाने जैसी कई अनुशासनहीनता भरी हरकतों का आरोप लगा. पुणे के कलेक्टर की तरफ से सरकार को शिकायत भेजने के बाद मामला चर्चा में आया.

यूपीएससी ने भी अपने स्तर पर जांच की. इसमें पाया गया कि 2012 से 2020 के बीच पूजा ने 9 बार यूपीएससी परीक्षा दी. 9 बार की अधिकतम सीमा खत्म हो जाने के बाद भी 2022 में फर्जीवाड़ा कर अपना चयन करवाया. इस दौरान उन्होंने नाम में बदलाव, फर्जी ओबीसी सर्टिफिकेट, आमदनी और संपत्ति का गलत ब्योरा देने, विकलांगता का झूठा दावा करने जैसे कई तरह का भ्रष्ट आचरण किया. इस जांच के बाद यूपीएससी ने पूजा को सिविल सेवा से बर्खास्त कर दिया था. मामले में यूपीएससी ने दिल्ली पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवाई थी.

 

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