Margaret Alva: विपक्ष (Opposition) ने NDA उम्मीदवार जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhad) के सामने उप राष्ट्रपति (Vice President) पद के चुनाव के लिए वरिष्ठ नेता (Congress Leader) मारग्रेट अल्वा (Margaret Alva) को भले ही अपने उम्मीदवार के तौर पर उतार दिया है पर मार्गरेट अल्वा का राजनीतिक इतिहास (Political History) तमाम राजनीतिक विवादों (Controvercies) से भी घिरा रहा है और अब बीजेपी (BJP) उन्हीं विवादों को हवा दे रही है.


आपको बताते हैं राजनीतिक विवादों से आखिर मार्गरेट अल्वा का क्या नाता रहा है. पहले तो ये जान लीजिए कि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रहीं मारग्रेट अल्वा राजीव गांधी और नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री भी रहीं और चार राज्यों की उप राज्यपाल भी रह चुकी हैं. बावजूद इसके चौंकाने वाली बात ये कि मार्गरेट अल्वा ने एक दफ़ा एक इंटरव्यू में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी पर सीधा आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी अपनी मन मर्ज़ी से पार्टी चलाती हैं, यही वजह थी कि मनमोहन सिंह के चाहने के बावजूद उन्होंने अल्वा को मनमोहन सरकार में शामिल नहीं होने दिया. अल्वा ने ये भी आरोप लगाया था कि उन्हें राज्यपाल बनाए जाने की जानकारी भी सोनिया गांधी ने उन्हें अचानक हीं एक बहुत छोटा सा फोन करके दी थी.


मार्गरेट अल्वा ने कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा किया


यही नहीं अपनी जीवनी के लॉन्च के वक्त भी अल्वा ने कांग्रेस पर बहुत तीखी टिप्पणियां की थीं। और तो और अल्वा ने ये गंभीर आरोप लगाया कि बोफ़ोर्स मामले के बाद सोनिया गांधी के नरसिम्हा राव के साथ संबंध ठीक नहीं थे। यही मार्गरेट अल्वा थीं जिन्होंने संजय गांधी और अगस्ता वेस्टलैंड मामले के किश्चन मिशेल के बीच कई डीलिग्स के आरोप लगाए थे. इतना ही नहीं मार्गरेट अल्वा ने ये भी इमर्जेंसी और तुर्कमान गेट कांड में संजय गांधी की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर भी सवाल खड़े किए थे.


सक्रिय राजनीति से बना ली दूरी


एक और बड़ी बात ये कि मार्गरेट अल्वा ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के वक्त उनके बेटे को टिकट नहीं दिए जाने पर कड़ी नाराज़गी ज़ाहिर की थी मगर जब उसके बाद हुए कुछ अन्य राज्यों में दूसरे बड़े नेताओं के बेटों या परिवार वालों को टिकट दिए गए थे तब खुल कर आरोप लगा दिया था कि कांग्रेस में टिकट पैसे लेकर बांटे जाते हैं. इसके बाद ही मारग्रेट अल्वा को पार्टी के महासचिव के पद से हटा दिया गया था. गौरतलब है कि उसके बद से अल्वा की फिर कभी सक्रीय राजनीति में वापसी नहीं हुई. कुछ सालों बाद उन्हें राज्यपाल ज़रूर बनाया गया और अब सालों बाद अल्वा जगदीप धनखड के सामने उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की उम्मीदवार बनाई गई है.


मार्गरेट अल्वा के नामांकन में सोनिया गांधी नहीं


गौरतलब है कि जब आज मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) संसद (Parliament) में अपना नामांकन दाखिल करने गई तो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) समेत विपक्ष के तमाम नेता साथ मौजूद रहे मगर सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) नज़र नहीं आई. हालांकि कांग्रेस (Congress) सूत्रों ने दावा किया कि उनकी तबियत ठीक नहीं इसलिए वो खुद नहीं आ सकीं. यही वजह थी कि वो सोमवार को संसद में कुछ बोल नहीं सकीं थीं.


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