यूपी चुनाव में सत्ता तक पहुंचने के लिए इन दिनों रथ यात्राओं का दौर चल रहा है. हर पार्टी किसी न किसी रथ पर सवार है. बस ज़रूरत वोटरों के आशीर्वाद की है. इसी चक्कर में मोदी सरकार के नए नवेले मंत्री जन आशीर्वाद यात्रा पर निकले.


तो अखिलेश यादव के कैंप से उनकी सहयोगी पार्टियों जनवादी पार्टी और महान दल ने भी यात्रा शुरू कर दी. वो भी अपने अपने प्रभाव वाले इलाक़ों में. यूपी के बाहुबली नेता और कुंडा से विधायक राजा भैया उर्फ़ रघुराज प्रताप सिंह ने भी आज का शुभ मुहूर्त निकाला. अयोध्या में रामलला के दर्शन किए जनसेवा संकल्प यात्रा पर चल दिए.




शिवपाल यादव भी निकाल सकते हैं रथ यात्रा


पहले के जमाने में लोग तीर्थ यात्रा पर निकलते थे. आज की राजनीति में सारे तीर्थ तो सत्ता में समा गए हैं. इसीलिए नेताओं में रथ यात्राओं की होड़ मची है. इसी कड़ी में अगले नाम हो सकते हैं चचा शिवपाल. मतलब यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव का. मुक़ाम परिवार में झगड़े के बाद वे अलग हो गए और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नाम से अपना नया ठिकाना ढूंढ लिया. पिछले चुनाव में उन्हें कोई ख़ास कामयाबी तो नहीं मिली लेकिन कई सीटों पर उन्होंने अपने भतीजे अखिलेश के उम्मीदवारों का खेल ज़रूर ख़राब कर दिया.




यही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी शिवपाल ने अपना बदला पूरा कर लिया. सब जानते हैं कि अखिलेश के चाचा और राज्य सभा सांसद रामगोपाल यादव से उनका छत्तीस का रिश्ता रहा है. उनके बेटे अक्षय यादव फ़िरोज़ाबाद से चुनाव लड़ रहे थे. यहां शिवपाल के उम्मीदवार ने वोट काट लिया और अक्षय हार गए.


क्या मुलायम परिवार एक हो जाएगा?


यूपी के इस चुनाव में एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या मुलायम परिवार एक हो जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो फिर समाजवादी पार्टी और शिवपाल यादव की पार्टी में चुनावी गठबंधन हो सकता है. एबीपी न्यूज़ के शिखर सम्मेलन में तो शिवपाल अपनी पार्टी के विलय तक के लिए भी तैयार हो गए थे लेकिन अखिलेश ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. शिवपाल ने तो ये तक कह दिया था कि योगी आदित्यनाथ को जब भी फ़ोन किया उनसे बात हो जाती है लेकिन 4 सालों से कई बार की कोशिशों के बाद भी अखिलेश से उनकी बातचीत नहीं हो पाई है.


गठबंधन और चुनावी समझौते की तस्वीर क्या होगी अभी तय नहीं है पर शिवपाल यादव ने भी रथयात्रा पर निकलने का फ़ैसला कर लिया है. उन्होंने इसका नाम दिया है सामाजिक परिवर्तन रथयात्रा. इसकी तारीख़ अभी तय नहीं है लेकिन तैयारियां हो चुकी हैं. शिवपाल यादव का रथ बन कर उनके पैतृक गांव सैफई पहुंच चुका है. बस को रथ की तरह तैयार किया गया है. अंदर बैठने के लिए सोफ़ा लगा है और आराम करने के लिए बेड भी बना हुआ है. रथ के बाहर शिवपाल और उनके बेटे आदित्य की फ़ोटो लगी हुई है.




मुलायम के नाम का इस्तेमाल चाचा भतीजा दोनों कर रहे


दिलचस्प बात ये है कि मुलायम सिंह यादव की तस्वीर भी बस पर लगी है. मुलायम के नाम का इस्तेमाल अखिलेश भी करते हैं और शिवपाल भी. रथ पर राम मनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र जैसे पुराने दिग्गज समाजवादी नेताओं की भी फ़ोटो लगी हुई है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भी अखिलेश यादव ने रथनुमा बस से ही प्रचार किया था. तब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन था. कुछ जगहों पर तो राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने मिल कर रथ यात्रा की थी. अब तो इंतज़ार बस इस बात का है कि जनता किसके रथ पर वोटों की बारिश करती है.


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